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यूपीएसआईडीसी के भवन नीलामी प्रक्रिया के अंतर्गत यूपी एस आई डीसी के कर्मचारियों का खेल

सबसे महंगी बोली लगाकर और नियमानुसार बोली का 5% शुल्क जमा करा कर भी कब्जे के लिए शासन और प्रशासन के चक्कर लगा रहा पीड़ित

यूपीएसआईडीसी के भवन नीलामी प्रक्रिया के अंतर्गत यूपीएसआईडीसी के कर्मचारियों का खेल

अज्ञात कारणवश आर एम और लिपिक ने मिलकर भवन के आवंटन के बाद आवंटी को अन अधिकारी घोषित कर दूसरे को कर दिया आवंटन

सबसे महंगी बोली लगाकर और नियमानुसार बोली का 5% शुल्क जमा करा कर भी कब्जे के लिए शासन और प्रशासन के चक्कर लगा रहा पीड़ित

TIMES7NEWS – कानपुर : पनकी यूपीएसआईडीसी औद्योगिक क्षेत्र भवन संख्या S- 55 जो नीलामी के दौरान ज्ञानेंद्र अवस्थी को आवंटित किया,ज्ञानेंद्र अवस्थी ने सबसे महंगी बोली लगाकर यूपीएसआईडीसी के नियमानुसार एलॉटमेंट धनराशि जमा करा दी लेकिन उसे कब्जा नहीं दिया गया।

बल्कि रमाकांत शुक्ला को रजिस्ट्री कर दी गई अब यूपीएसआईडीसी का खेल चालू। लिपिक और आर एम ने मिलकर ज्ञानेंद्र अवस्थी को तगड़ा झटका दे दिया, उन्होंने कहा कि आपके द्वारा जमा की गई धनराशि आपर्याप्त है, अतः आवंटन रमाकांत शुक्ला के नाम किया जाएगा। जिसने संपूर्ण शुल्क इमानदारी से जमा किया अब समझ में नहीं आता कि जब बोली लगाई गई बोली ओके की गई बोली का 5 परसेंट नियमानुसार ज्ञानेंद्र अवस्थी से जमा करा कर उसकी रसीद दे दी गई।

अगर धनिराश अपर्याप्त थी तो क्या लिपिक की मैथमेटिक्स कमजोर थी या आरएम की या फिर वह नहीं मिला जिसकी चाहत थी तो फिर जिसने चाहत पूरी की भवन उसका हो गया।

मजे की बात तो यह है,कि शासन प्रशासन से लेकर सरकार तक प्रार्थना पत्र देने के बाद दोषियों के हाथों में ही जांच सौंप दी इतनी सी बात सरकार को नहीं समझ में आती प्रशासन को समझ में नहीं आती या फिर सब चोर हैं।आखिरकार मुकदमा करने के बावजूद विभाग द्वारा रजिस्ट्री दूसरे को कर दी गई यह कोई इस तरह का पहला मामला नहीं है, ज्यादातर विभागों में इस तरह के भ्रष्टाचार रोज ही निकल कर सामने आ रहे हैं, कुल मिलाकर सरकार का अपनी मशीनरी पर नियंत्रण कहीं दिखाई नहीं देता विभाग चाहे जो हो।

.अब इस पर क्या फैसला होगा ?
.कौन फैसला करेगा?
.किसकी मैथमेटिक्स को वरीयता दी जाएगी?

यह सब का मिलाजुला खेल है, ग्राहक तो भगवान भरोसे।

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Shushil Nigam

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