सचेंडी थाना प्रभारी आईपीएस मुरकुर और विधायक अभिजीत सांगा के बीच हुई तीखी नोक झोंक
सचेंडी कस्बा निवासी सब्जी विक्रेता सुनील ने पुलिसिया उत्पीड़न से तंग आकर आत्महत्या कर ली
युवक ने फांसी के फंदे पर लटकने से पहले 65 सेकेंड का विडियो बना फेसबुक स्टेटस पर किया था अपलोड
TIMES7NEWS – कानपुर नगर थाना सचेंडी कस्बा में एक युवक ने 65 सेकेंड का वीडियो बना मंडी चौकी इंचार्ज और एक सिपाही पर दो माह से जबरन वसूली ,गाली गलौज,मारपीट और मोबाइल फोन पर धमकी देने का आरोप लगाते हुए फांसी के फंदे में लटककर आत्महत्या कर ली। युवक ने मरने से पहले बनाए हुए वीडियो को फेसबुक स्टेटस पर अपलोड किया फिर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। सुबह युवक की मौसी ने स्टेट्स देखा तो होश उड़ गए फिर घर वालों को फोन कर घटना की जानकारी दी।सचेंडी कस्बा निवासी बालकृष्ण राजपूत का छोटा बेटा सुनील राजपूत लगभग चार माह पहले चकरपुर सब्जी मंडी में सब्जी बेचने का काम करता था सुनील कि मां राजेश्वरी ने बताया कि मंडी चौकी प्रभारी सत्येंद्र कुमार यादव व सिपाही अजय यादव मंडी में वसूली करते हैं। उन्होंने उनके बेटे सुनील से भी पांच हजार रुपए मांगे थे, रुपए न देने पर उन्होंने उसकी सब्जी उठाकर फेंक दी और दोबारा दुकान न लगाने की चेतावनी दी थी।
सुनील की मां के अनुसार , बेटे को मंडी में दुकान न लगाने के लिए कहा था और दूसरा काम भी खोजने को कहा, इसके बाद से सुनील पिछले दो महीनों से सचेंडी में अंडरपास का निर्माण कर रही कंपनी पीएनसी में मजदूरों के लिए खाना बनाने का कार्य करने लगा था। आरोप है कि इसके बाद भी चौकी इंचार्ज ने पीछा नहीं छोड़ा और जहां भी सुनील मिलता वह उसे रोक कर पैसे छीन लेते थे और अभद्रता करते थे।
घटना को लेकर आईपीएस और विधायक की हुई झड़प – पुलिस प्रताड़ना से युवक की मौत होने की जानकारी होते परिजनों और क्षेत्रीय लोगों में आक्रोश फैल गया और लोगों का जमावड़ा लग गया। जब स्थानीय विधायक अभिजीत सांगा को बुलाने की मांग हुई और मौके पर पहुंचे विधायक अभिजीत सिंह सांगा और सचेंडी प्रभारी निरीक्षक आईपीएस डा0 अमोल मुरकुट के बीच तीखी नोक झोंक शुरू हो गई।
जिसके बाद जमकर हंगामा शुरू हो गया और जब इस मामले को उच्च अधिकारियों ने संज्ञान में लिया तो उच्च अधिकारियों के निर्देशन में आरोपी चौकी प्रभारी सतेंद्र यादव और सिपाही के विरुद्ध आत्महत्या के लिए प्रेरित करने के आरोप में मुकदमा दर्ज करते हुए दोनो को निलम्बित कर दिया।
पता नहीं क्यों उत्तर प्रदेश पुलिस योगी जी की छवि धूमिल करने में पूरी तरह से जुटी हुई है आए दिन कहीं अपराधियों को संरक्षण देने के मामले खबरों में नजर आते रहते है तो कहीं पुलिसिया उत्पीड़न से त्रस्त होकर मौत को गले लगाने की मजबूरियां प्रकाश में आती रहती है।
वैसे ये कोई नई बात नहीं है पिछले कई वर्षो से कानपुर देहात में कई मामले ऐसे प्रकाश में आए जिसमें पुलिस गंभीर आरोपों के कटघरे में खड़ी नजर आई।