कानपुर दक्षिण के फत्तेपुर में अरबों की सरकारी जमीन को कब्जियां दबंग भोले भाले लोगों को बेवकूफ बना बेंच सरकार को लगा रहे चूना

कानपुर दक्षिण के फत्तेपुर में अरबों की सरकारी जमीन को कब्जियां दबंग भोले भाले लोगों को बेवकूफ बना बेंच सरकार को लगा रहे चूना
राजस्व प्रशासन अनजान बन गहरी नींद में, या फिर पूरी जमीन बिकने के बाद गरीबों के बने आशियाने पर बुल्डोजर चलाने का कर रहा इंतजार

TIMES7NEWS – कानपुर दक्षिण में कई वर्षों से दबंग जमीन माफियाओं का जलजला बदस्तूर जारी हैं, बिधनू ब्लाक के ग्राम फत्तेपुर में करोड़ों की सरकारी जमीन को कब्जियां दबंग माफिया प्लाटिंग कर भोले भाले लोगों अच्छे खासे दामों में बेच उनकी जीवन भर की गाढ़ी कमाई को चूना लगा रहे हैं। वहीं राजस्व अधिकारियों को शायद यह पता ही नहीं कि दबंगो ने कब करोड़ों की जमीन पर कब्जा कर लिया और प्लाटिंग कर डाली। यहां तक कि जमीन माफियाओं ने पूरा नला पाट दिया और हाइटेंशन से लेकर नदी के छोर तक कब्जियां लिया, और पूरी जमीन पर छोटे बड़े प्लाट काट दलालों के माध्यम से नगद रुपया लेकर बेच रहे हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जमीन माफियाओं को इस जमीनी खेल में राजस्व अधिकारी व कई सफेद पोस नेताओं का संरक्षण भी प्राप्त है। जिसकी वजह से बेखौफ होकर दबंग डंके की चोट पर अपना काम खुलेआम कर रहे हैं। और ये भी बताया कि फत्तेपुर उरियारा पेट्रोल पंप के सामने 45 बीघा सरकारी जमीन पर अवैध रूप से प्लाटिंग कर अच्छे खासे दामों में नगद रुपया लेकर दीगर आराजी डाल रजिस्ट्री कर प्लाट बेच रहे हैं, न ही किसी सोसायटी का रजिस्ट्रेशन है, न ही विकास प्राधिकरण से किसी प्रकार का कोई मानचित्र स्वीकृति है।केवल एक रामपुरम नाम का बोर्ड लगा धड़ल्ले से सरकारी जमीन को बेचने का काम किया जा रहा हैं।

आपको बताते चलें कि ये कोई फत्तेपुर में ही नहीं हो रहा कानपुर दक्षिण के मगरासा, न्यूरी, जामू, साढ़ रमईपुर सहित कई अन्य क्षेत्रों में भी भूमाफियाओं द्वारा तालाब, ऊसर , परती, ग्राम समाज सीलिंग आदि की जमीनों को कब्जियां कर बड़े पैमाने पर कई वर्षों से ये गोरख धंधा चल रहा हैं कई बार खबर प्रकाशित होने पर या किसी शिकायतकर्ता की शिकायत पर राजस्व विभाग के उच्च अधिकारियों ने मामले को संज्ञान में लिया और जांच के लिए कई टीमें भी गठित की लेकिन बाद में मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। कई जगहों पर संज्ञान लेने के बाद कार्यवाही भी हुई लेकिन उस कार्यवाहीं में उन बेकसूर लोगों को सजा मिली जिन्होंने अपनी जीवन भर की जमा पूंजी उन भूमाफियों के हवाले कर दी जो अपना खेल पूरा कर चले गए और उन बेचारे गरीबों के आशियाने सरकारी बुल्डोजर ने ढा दिए।
अब ये समझ में नहीं आता कि सरकार राजस्व कर्मियों को किस बात की तनख्वा देती हैं, की जब दबंग जमीन पर कब्जा कर रहे होते हैं तब उन्हें सरकारी जमीन नजर नहीं आती, और जब कब्जा करने के बाद प्लाट बेंच कर दाखिल खारिज कराते तब भी लेखपाल और कानूनगो आंख बन्द अपनी रिपोर्ट लगा दाखिल खारिज में नाम चढ़ावा देते हैं और उन्हें पता नहीं होता कि जिस जमीन का दाखिल कर रहे हैं, वो ऊसर , बंजर , परती या चारागाह की हैं या भूमधरी हैं।
राजस्व विभाग को तब अपनी सरकारी भूमि नजर आती जब माफिया पूरी जमीन को बेच लोगों की जीवन भर की गाढ़ी कमाई डकार निकल जाते हैं तब विभाग बुल्डोजर लेकर उन गरीबों के आशियाने उजड़ने में लग जाता हैं।