सतबरी व मछरिया में लगातार जारी है तालाबों पर कब्जे का खेल, सो रहा है केडीए और एंटी भू – माफिया सेल
भू माफियाओं के तालाबों पर कब्जे का टूट रहा कहर, ऐसा ही रहा तो बूंद – बूंद को तरसेगा शहर
एक के बाद एक कब्जा होते तालाबों से शहर में खड़ा हो सकता है भीषण जल संकट-
महानगर के विशालकाय तालाबों को कब्जा मुक्त कराने के लिए शासन और प्रशासन के प्रयास हो रहे असफल
कानपुर। उत्तर प्रदेश में मानसून दस्तक दे चुका जिसके चलते हर दिन बूंदा – बांदी और पानी की छीटो से सड़कों को सींचा जाना लगातार जारी है,समय से पहले मानसून की दस्तक से एक तरफ जहां कानपुर शहर में चिलचिलाती धूप और चढ़ते पारे से कुछ राहत जरूर मिल रही है तो वही दूसरी ओर शहर में गिरता जलस्तर भी अब धीरे-धीरे शहरवासियों के माथे पर चिंता की लकीरें खींचने के लिए काफी है, हम यह बात भी अच्छे से समझ चुके हैं, कि जब तक धरती पर पड़ने वाले एक एक बूंद पानी का संरक्षण नहीं किया जाएगा तब तक भूगर्भ के जल स्तर को उठाया नहीं जा सकता लेकिन शायद यह बात अब तक शहर के उन जिम्मेदारों की समझ से काफी दूर बनी हुई है। तभी तो महानगर में पिछली गलतियों को दोहराते हुए एक के बाद एक तालाबों एवं पोखरों पर कब्जे का सिलसिला बदस्तूर जारी है,आज हम बात कर रहे हैं, कानपुर नगर के ग्राम सतबरी व मछरिया की झील और तालाबों की जहां पर गलत आराजी संख्या डालकर भूमाफियाओं द्वारा कब्जा कर तालाबों के अस्तित्व को धूमिल कर दिया गया बल्कि उस पर आवास तैयार कर दिए गए।
गौरतलब है, कि फर्जी आराजी संख्याओं के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सुशासन की नीति पर धूल झुकते हुए तालाबों का गला घोंटा जा रहा है, जिस पर प्रशासनिक अधिकारियों समेत कानपुर विकास प्राधिकरण चुप्पी साधे बैठा हुआ है, जिस प्रकार से दिनदहाड़े इस बड़े पैमाने पर जलश्रोत पर कब्जा होता जा रहा है, उसको देख कर तो यही प्रतीत होता है,कि शहर के जिम्मेदारों की नजरें इन विशालकाय कब्जों पर अब तक नहीं पड़ी है या फिर हम यू समझ ले की इन सभी कब्जों को कानपुर विकास प्राधिकरण के जिम्मेदारों और भू माफियाओं की मिलीभगत के माध्यम से ही लगातार अंजाम दिया जा रहा है।
क्या उत्तर प्रदेश के मुखिया माननीय योगी आदित्यनाथ जी के द्वारा झीलों और तालाबों को कब्जा मुक्त कराने के दिये गए आदेशों की मात्र एक औपचारिकता थी?
या फिर कानपुर राजस्व विभाग और कानपुर विकास प्राधिकरण द्वारा चलाये गये ध्वस्तीकरण अभियान महज एक दिखावा था।
या फिर केवल गरीब लाचार मध्यमवर्गीय ब्यक्तियो के आशियानों को उजाड़ कर प्रशासन द्वारा चलाया गया अभियान एक दिखावा था।