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फतेहपुर पुलिस पर हाई कोर्ट का चला हंटर थानेदार अमित कुमार सिंह, एस आई मनोज कुमार, एसपी फतेहपुर को हाई कोर्ट ने किया तलब

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना पर कोर्ट की बड़ी कार्यवाही

फतेहपुर पुलिस पर हाई कोर्ट का चला हंटर थानेदार अमित कुमार सिंह, एस आई मनोज कुमार, एसपी फतेहपुर को हाई कोर्ट ने किया तलब

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना पर कोर्ट की बड़ी कार्यवाही

TIMES7NEWS – U.P. विपक्षी से पैसा लेकर अधिवक्ता के पिता को पुलिस ने तीन बोरी गेहू की चोरी में फंसाया ताबड़तोड़ एक माह में पुलिस ने की चार FIR अधिवक्ता ने लगाए गंभीर आरोप पुलिस की कार्यशैली से शायद ही प्रदेश का कोई व्यक्ति अछूता रहा हो पुलिस कहीं अच्छे कामों से तो कहीं बुरे कामों से हमेशा चर्चा में बनी रहती है। वैसे तो पुलिस को जनता का रक्षक कहा जाता है लेकिन तब क्या होता है जब रक्षक ही भक्षक बन जाता है। इसका सीधा उदाहरण उत्तर प्रदेश के जिले फतेहपुर के एसपी, थानाध्यक्ष और चौकी प्रभारी द्वारा देखने को मिला है। पुलिस की ऐसी कार्यशैली से जहां एक ओर सरकार की छवि को बट्टा लगाता दिखाई दे रहा है, साथ ही साथ लोगों का विश्वास पुलिस के ऊपर से उठता जा रहा है, सिर्फ अपने फायदे के लिए झूठी एफ आई आर लिख देना पुलिस को अच्छे से आता है।

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पुलिस की इस कार्यशैली का जिक्र हम क्यों कर रहे हैं यह भी आप जान लीजिए अधिवक्ता ने बताया ऐसी जमीन जिसकी पुश्तैनी भूमिधरी और रजिस्टर्ड वसीयत बाबू सिंह उर्फ आनंद सिंह के नाम है। जिसपर उक्त वृद्ध जुताई और बुआई करता है। विपक्ष से पैसे लेकर पुलिस ने झूठी एफ आई आर कर दी और जेल भेज दिया। वही आरोपी के उच्च न्यायालय के अधिवक्ता जितेंद्र कुमार सिंह से बात की गई तो उन्होंने फतेहपुर पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने बताया कि 9 मई 2023 को पुलिस विपक्ष के कहने पर बाबू सिंह उर्फ आनंद सिंह के घर गई और 3 बोरी गेहूं बाबू सिंह के ही घर से उठाकर खकरेरू थाने ले गई और वहां पर तत्काल चोरी की एफ आई आर लिखकर जेल भेज दिया। जो कि धारा 41का उल्लंघन है।आरोपी के अधिवक्ता ने बताया की पुलिस ने यह काम उमेश कुमार सिंह और विजय देवी से पैसे लेकर और बीजेपी के पूर्व विधायक विक्रम सिंह के कहने पर किया है।

क्या है प्रावधान सीआरपीसी के तहत सात साल तक सजा वाले अपराधों में गिरफ्तारी के लिए कानून में वर्ष 2010 में सीआरपीसी की धारा 41 में संशोधन कर जोड़ी गई धारा 41 के बारे में थानों में तैनात पुलिस अफसर अभी भी शायद अनभिज्ञ हैं या फिर अनभिज्ञ होने का दिखावा करते हैं. सात साल से कम सजा वाले अपराध के मामलों में पुलिस पहले आरोपी को नोटिस देकर बुलाएगी और नोटिस की शर्तों का पालन किए जाने की स्थिति में आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। साथ ही आरोपी को गिरफ्तार कर रिमांड पर लेने से पहले जांच अधिकारी द्वारा अदालत को लिखित में कारण बताने होंगे। हाल ही सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में इन प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले पुलिस अफसरों पर हाइकोर्ट में अवमानना की कार्रवाई किए जाने के निर्देश भी दिए गए है, सुप्रीम कोर्ट का ये है आदेश अर्नेश कुमार बनाम बिहार सरकार के मामले में 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा जो भी अपराध सात साल से कम की सजा वाले हैं। उसमे भारसाधक अधिकारी SHO बिना मजिस्ट्रेट की परमीशन के किसी भी आरोपी को नोटिस दिए बिना अरेस्ट नहीं कर सकता।

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Shushil Nigam

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