आचार संहिता लागू होते ही भूमाफियाओं का कानपुर दक्षिण नौबस्ता में फिर दिखाई पड़ा जलजला, सरकारी जमीनों को कब्जिया करवा रहे निर्माण
•आचार संहिता लागू होते ही भूमाफियाओं का कानपुर दक्षिण नौबस्ता में फिर दिखाई पड़ा जलजला, सरकारी जमीनों को कब्जिया करवा रहे निर्माण
•2021 में केडीए ने 1115 आराजी संख्या को सीलिंग की भूमि बताते हुए एक निर्माणाधीन भवन को शील कर नौबस्ता थाने को पत्र भेज दी थी सूचना
•राजस्व कर्मियों की सरपरस्ती में बूढ़पुर मछरिया की सरकारी जमीनों पर दबंग दीगर अराजियों को डाल भोले भाले लोगों को प्लाट बेच राजस्व को लगा रहे चूना
TIMES7NEWS – कानपुर /केडीए एवं आवास विकास परिषद ने कई बार नौबस्ता थाने को पत्र जारी कर फर्जीवाड़ा कर सरकारी जमीनों को कब्जियां कर बिक्री किए जाने व निर्माण करा रहे भूमाफियाओं के विरुद्ध कार्यवाही करने के आदेश किए जारी लेकिन भूमाफियाओं पर न ही कोई कार्यवाही हुई और न ही सरकारी जमीनों पर हो रहे निर्माण कार्य को रोका गया।
ताजा मामला थाना नौबस्ता क्षेत्र आवास विकास चौकी अंतर्गत तहसील कानपुर सदर बूढ़पुर मछरिया गांव की आराजी संख्या 900, 901, 1115,और 1116,1127 का है जिसपर आराजी संख्या 1115 पर बने एक प्लॉट को कानपुर विकास प्राधिकरण ने 14/09/2021को सीलिंग कि भूमि बता निर्माणाधीन भवन को सील किया और थाना नौबस्ता को पत्र जारी कर देख रेख के लिए आदेशित किया था। लेकिन सक्रिय भूमाफियाओं ने क्षेत्रीय पुलिस और राजस्व कर्मियों से सांठ गांठ कर चुनाव आचार संहिता का फायदा उठा सरकारी जमीनों पर रात-दिन निर्माण करना शुरू कर दिया।
कानपुर विकास प्राधिकरण ने विधायक अभिजीत सिंह सांगा द्वारा भूमाफियाओं के विरुद्ध दिए गए प्रार्थना पत्र का संज्ञान लेते हुए 9 सितंबर 2021 को पत्रांक संख्या डी/ 730 /2021- 2022 को जारी कर यह स्पष्ट करते हुए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा था कि कानपुर विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद की जमीनों पर सीमांकन और चिन्हांकन की कार्यवाही की जा रही है और जब तक आवास विकास एवं कानपुर विकास प्राधिकरण की समस्त अराजियों का सीमांकन – चिन्हांकन नही हो जाता तब तक यहां पर कोई भी निर्माण नही होना चाहिए परंतु चुनावी आचार संहिता लागू होने के बाद जैसे ही प्रशासनिक अधिकारी चुनाव आचार संहिता में व्यस्त हुए तो भूमाफियों ने राजस्व और पुलिस कर्मियों के संरक्षण में उसी सील भवन के अगल बगल की सरकारी जमीनों पर तेजी से कार्य शुरू कर दिया। जैसा कि इन तस्वीरों में दिख रहा है कि विगत कुछ दिनों में ही कई नए मकान बन गए और कुछ की नीव खोदी जा रही है।
आखिर जिस जमीन के संरक्षण के लिए खुद कानपुर विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद द्वारा नौबस्ता थाने को पत्र लिखा गया था फिर उस जमीन पर रातों रात मकान कैसे बन गए और पुलिस व राजस्व अधिकारियों की निगाहों में क्यों नहीं आए ?
अब सवाल यह उठता है कि जब कानपुर विकास प्राधिकरण ने नौबस्ता थाना को पत्र जारी सरकारी भूमि की निगरानी और उन भूमाफियाओं पर मुकदमे कि कार्यवाही करने के लिए निर्देशित किया तो फिर कैसे सरकारी जमीनों पर बन कर खड़े हो गए मकान?
सबसे हैरान कर देने वाली बात तो यह कि इन जमीनों का लेखा जोखा रखने लेखपाल और उपनिबंधक कार्यालय अधिकारी बिना किसी जांच पड़ताल के बैनामा और दाखिल खारिज कैसे कर देते हैं आखिर सरकार इन्हें किस बात की तनख्वा देती है ?