उत्तर प्रदेश=विधानसभा की 12 सीटों पर उप-चुनाव होने हैं । अभी चुनाव आयोग ने इन सीटों पर उप-चुनावों की कोई भी घोषणा नही की है लेकिन प्रदेश एवं देश में सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी ने इन उप-चुनावों की तैयारियां व्यापक स्तर पर प्रारम्भ कर दी है । विधानसभा सीट हमीरपुर , जलालपुर (अम्बेडकरनगर ) , रामपुर , प्रतापगढ़ , इगलास (अलीगढ़ ) , गंगोह ( सहारनपुर ) , बलहा ( बहराइच) , मानिकपुर ( चित्रकूट ) , जैदपुर ( बाराबंकी ) , कैंट ( लखनऊ ) , टूंडला ( फिरोजाबाद ) , गोविंदनगर ( कानपुर ) पर उप-चुनाव होने हैं ।
भाजपा के लखनऊ राज्य मुख्यालय पर आयोजित 23 जून की बैठक से भी यह सिद्ध होता है कि भाजपा नेतृत्व इन होने वाले उप-चुनावों में कोई कसर नही रखना चाहता है । भाजपा ने सभी सीटों को जीतने की रणनीति पर कार्य करना शुरू कर दिया है । उप-चुनाव वाली सभी सीटों पर चुनाव प्रबंधन टीम गठित करके प्रत्येक सीट के लिए प्रभारी नियुक्त किये गए । इस टीम में मंत्री ,सांसद, जिला/नगर अध्यक्ष समेत प्रदेश पदाधिकारी भी शामिल हैं ।
दरअसल संगठन और चुनावों की तैयारियों में फिर एक बार बढ़त बना ली है । अपने संगठन के नियमानुसार ( एक व्यक्ति – एक पद ) श्री अमित शाह के गृह मंत्री – भारत सरकार बनते ही श्री जे पी नड्डा को भाजपा का कार्यवाहक अध्यक्ष बना दिया गया । साथ ही साथ भाजपा ने नए सदस्य बनाने के अभियान को तेज करने के लिए सदस्यता अभियान का राष्ट्रीय संयोजक श्री शिवराज सिंह चौहान ( पूर्व मुख्यमंत्री – मध्य प्रदेश शासन ) तथा श्री दुष्यन्त गौतम ( राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ) को राष्ट्रीय सह संयोजक बना दिया । तत्पश्चात प्रदेशों ,जिलों के भी सदस्यता अभियान के संयोजक भी घोषित हो रहे हैं ।
उत्तर प्रदेश में होने वाले उप-चुनावों में भाजपा के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण सीट राजधानी लखनऊ की कैंट विधानसभा ही है । उप्र की राजधानी लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट से आम चुनाव 2017 में निर्वाचित श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी लोकसभा चुनाव 2019 में इलाहाबाद संसदीय सीट से भाजपा की प्रत्याशी बनीं और निर्वाचित भी हो गईं । श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी उप्र सरकार में मंत्री भी थीं । श्रीमती जोशी के सांसद चुने जाने और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिए जाने के बाद कैंट विधानसभा लखनऊ में भी उप-चुनाव होना निश्चित है । कैंट की यह सीट भाजपा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है ।
लखनऊ संसदीय सीट से वर्तमान में श्री राजनाथ सिंह निर्वाचित सांसद हैं और भारत सरकार में रक्षा मंत्री का दायित्व भी निभा रहे हैं । लखनऊ संसदीय सीट भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाती है क्योंकि लगातार भाजपा यहाँ से जीतती रहती है । श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी के विधानसभा सदस्यता से इस्तीफे के बाद भाजपा नेतृत्व को कैंट सीट से उप-चुनाव के लिए प्रत्याशी चुनने के लिए गहन विचार विमर्श करना पड़ेगा । पूर्व विधायक श्री सुरेश तिवारी , श्रीमती जोशी के बेटे मयंक जोशी , हीरो बाजपेई ( प्रवक्ता उप्र भाजपा ) , सिद्धार्थ अवस्थी ( प्रदेश मंत्री -भाजपा किसान मोर्चा उप्र ) ,श्रवण नायक , सुशील तिवारी पम्मी , गुड्डू त्रिपाठी ( पूर्व एमएलसी ) का नाम प्रमुख रूप से दावेदारों में माना जा रहा है ।
वरिष्ठता और अनुभव की कसौटी पर अगर कैंट का प्रत्याशी घोषित होगा तो निसंदेह सुरेश तिवारी ही बाजी मार ले जाएंगे लेकिन अगर युवाओं को तवज्जो देने को आधार बना कर उपचुनाव में कैंट का उम्मीदवार घोषित करने का इरादा भाजपा नेतृत्व बनायेगा तो माथापच्ची अधिक करनी पड़ेगी । हीरो बाजपेई टीवी डिबेट्स में भाजपा का पक्ष रखते हैं यह एकमात्र आधार उनके पक्ष में है । मयंक जोशी श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी के बेटे हैं यह बात मयंक जोशी के लिए लाभदायक हो सकती है ।लेकिन मयंक जोशी की सक्रियता भाजपा संगठन में किसी स्तर पर किसी तरह की नही रही है । ऐसे में परिवारवाद के ही भरोसे कैंट विधानसभा से मयंक जोशी भाजपा उम्मीदवार बनाये जा सकते हैं । एक और सम्भावित दावेदार सिद्धार्थ अवस्थी किसान मोर्चा के प्रदेश मंत्री हैं ,युवा हैं और ये संगठन कार्य में लगातार सक्रिय रहते हैं । हैदरगढ़ विधानसभा से विधायक रहे स्व सुरेंद्र नाथ अवस्थी उर्फ पुत्तू भैया के बेटे सिद्धार्थ अवस्थी की राजनैतिक संगठन सक्रियता दायित्व निर्वाहन के साथ साथ सामाजिक सक्रियता भी लखनऊ, बाराबंकी,गोंडा, अमेठी,फैज़ाबाद जनपद में रहती है । युवा मिलनसार सिद्धार्थ अवस्थी के पक्ष में यह तथ्य भी जाता है कि अगर भाजपा उनको कैंट से प्रत्याशी बनाती है तो इसका सीधा अतिरिक्त लाभ बाराबंकी की जैदपुर(सु ) सीट , बलहा ( बहराइच ) पर होने वाले उपचुनाव में भी भाजपा के प्रत्याशियों को मिलेगा । पूर्व एमएलसी गुड्डू त्रिपाठी की पैरोकारी ब्रजेश पाठक (मंत्री – उप्र शासन ) कर रहे हैं । सुशील तिवारी पम्मी ,श्रवण नायक पुराने भाजपाई हैं और लंबे समय से प्रतीक्षारत टिकटार्थी हैं ,देखते हैं इनके भाग्य में टिकट है, या पुनः इंतजार ?
रिपोर्टर इन चीफ:- सुशील निगम