सरसैया घाट पर गूंजी गंगा मेला की टंकार
सभी वर्गों के लोग गिले-शिकवे भूल मिले गले लगा मेला चम चम आया घाट
कानपुर नगर :26 मार्च 2019 सरसैया घाट अनुराधा नक्षत्र की पंचमी कानपुर का इतिहास होली जिसका सभी बेशब्री से करते हैं, इंतजार।गंगा मेला कानपुर की खास होली ऐसा कहा जाता है।कि 1942 में एक ब्रिटिश अधिकारी ने कानपुर में होली के दिन रंग खेलने पर पाबंदी लगा दी थी। लेकिन लोग नहीं माने जिसका परिणाम यह हुआ सेठ गुलाबचंद, जागेश्वर त्रिवेदी, पंडित मुंशी राम शर्मा, सोम, रघुवर दयाल, लाल कृष्ण शर्मा,नवीन,श्याम लाल गुप्ता,(पार्षद) बुद्धू लाल मेहरोत्रा, और हामिद खां को हुकूमत के खिलाफ साजिश करने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया जिसमें भड़की जनता नें सात दिनों तक जमकर आंदोलन किया जिससे घबराकर अंग्रेज अधिकारियों नें सभी को छोड़ दिया बस यही दिन कानपुर के लिए विशेष होली का दिन बना जो आज तक बदस्तूर जारी है।
विभिन्न वर्गों के लोग चाहे वह आम जन हो या जनप्रतिनिधि हो सब कुछ भूल कर मेले में एक हो जाते हैं और सांस्कृतिक झांकियों से मेले का सौंदर्य और भी बढ़ जाता है।
ऑल इंडियन रिपोर्टर्स एसोसिएशन (आईरा)इस मेले में अपनी सहभागिता सदैव की तरह इस बार भी निभाने से नहीं चूकी मेले की हर अच्छी और नई सँगतियो और विसंगतियों को यादों के रूप में कैमरे में कैद कर लाई।
मैनपुरी से तुलसीदास सिंह अपनी मूंछो के प्रदर्शन के लिए मेले में पधारे 23 वर्षों के कड़े परिश्रम से 7 फीट की मूंछों के दम पर बंदा दुनिया में अपना नाम अर्जित कराना चाहता है।
रिपोर्टर इन चीफ: सुशील निगम