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✒✒ *घोटालों का दौर और लालू के एक और घोटाले पर विशेष–सम्पादकीय*

*साथियो*इधर कुछ राजनेताओं व अधिकारियों ने मिलकर एक ऐसा गिरोह बना लिया है जिसके सहारे वह सरकारी धन से ऐशोआराम कर रातोंरात करोड़पति बन रहे हैं।अधिकारियों व राजनेताओं के इस गठजोड़ के चलते अब तक तमाम भ्रष्टाचार के मामले सामने आ चुके हैं।इधर पिछले तीन चार दशकों से राजनीतिक घोटालों का दौर शुरू हो गया था और अबतक तमाम घोटालों का पर्दाफाश हो चुका है।राजनेता अधिकारियों को मिलाकर अब तक कई बड़े घोटाले कर चुके हैं।अभी भी तमाम घोटाले ऐसे हैं जिनका पर्दाफाश अभी तक नहीं हो सका है।बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालूप्रसाद यादव को तो चारा घोटाला मामले मे अदालत से सजा भी सुनाई जा चुकी है। लालूप्रसाद यादव जी जैसे कई राजनैतिक राजनेताओं का कैरियर इन घोटालों में खराब हो चुका है और वह चुनाव लड़ने लायक तक नहीं बचे हैं।इसी बीच लालू जी का एक और घोटाला उजागर हुआ है जो उनके रेल मंत्री कार्यकाल से जुड़ा है।सीबीआई ने इस सम्बंध में लालूप्रसाद यादव व उनके परिजनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके उनके आवास पर छापेमारी शुरू कर दी है।इस घोटाले में उनका पूरा कुनबा शामिल है।लालूप्रसाद जी इस मुकदमे और छापेमारी से हतप्रभ हैं और इसे राजनैतिक बदले की कार्यवाही बताकर चारा घोटाले की तरह इसे भी झूठा मनगढंत राजनैतिक साजिश बता रहे हैं।फिलहाल सीबीआई अपना काम कर रही है और वह दिन दूर नहीं हैं जबकि लालू जी को दूबारा जेल जाना पड़ सकता है।इस बार वह अकेले नहीं हैं बल्कि उनसे जुड़े उनके परिवार के कई लोग शामिल हैं।राजनैतिक भ्रष्टाचार के चलते इस देश में भ्रष्टाचार का बोलबाला हो गया है क्योंकि राजनेता ही इस पर रोक लगाने वाला होता है।जब राजनेता ही भ्रष्ट हो जाता है तो अधिकारी उससे दो हाथ आगे निकल जाता है।इसी का परिणाम है कि आज भ्रष्टाचार सर्वव्यापी हो गया है और घोटालो का दौर शुरू हो गया था।अगर लालूप्रसाद जी के ऊपर पहली बार ऐसा आरोप लगा होता तो सभी मान लेते कि राष्ट्रपति चुनाव में उनकी सक्रियता दिखाने के कारण केन्द्र की सरकार उन्हें फंसा रही है।वैसे यह बात सही है कि केन्द्र की सरकार सीबीआई का इस्तेमाल इधर कुछ दशकों से अपने राजनैतिक प्रतिद्वंदियो की जुबान बंद करने लगी है। जबतक विपक्षी विरोध नहीं करते है तबतक उनकी फाइल दबी रहती है किन्तु जैसे ही वह सिर उठाने लगते हैं त्यौं ही उनकी फाइल ऊपर आ जाती है।आज तक तमाम अधिकारी व राजनेता भ्रष्टाचार के चलते जेल हो आये है और कुछ की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत भी चुकी हैं।सत्ता में आने वाले अधिकांश राजनेता जुबान से मंच के माध्यम से भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने का दावा तो करते हैं किन्तु दिल से खुद भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने लगते हैं।यहीं कारण है कि भ्रष्टाचार समाप्त नहीं हो पा रहा है और जो इसे समाप्त करने की कोशिश करता है वह खुद समाप्त हो जाता है। यहीं कारण है कि योगी जी के लाख प्रयास के बावजूद प्रशासनिक भ्रष्टाचार समाप्त नहीं हो पा रहा है।राजनेता समाज का दर्पण होता है उसका चरित्रहीन भ्रष्ट होने का मतलब पूरे समाज से होता है क्योंकि वहीं समाज का शासक होता है।

*धन्यवाद।भूलचूक गलती माफ।*

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Shushil Nigam

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