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✒✒ *अमरनाथ यात्रियों पर हमला और जम्मू काश्मीर में बढ़ते इस्लामिक आतंकवाद पर विशेष -सम्पादकीय*

*साथियों,*आखिर वहीं हुआ जिसकी आशंका थी।आतंकी अपने मंसूबे में सफल हो गये और सरकार  फेल हो गयी।आतंकियों के हमले में आठ अमरनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं की मौत हो गयी तथा दर्जनों यात्री गंभीर रूप से घायल हो गये है।यह हमला 10 जुलाई करीब शाम आठ बजे के बाद जम्मू काश्मीर के अनन्तनाग इलाके में उस समय हुआ जबकि श्रद्धालु एक बस से अमरनाथ जा रहे थे।जिस बस पर आतंकियों ने हमला किया है उस बस का पंजीकरण ही साइन बोर्ड में नहीं हुआ था।साइन बोर्ड में बस का पंजीकरण न होने से यह भी पता लगाना कठिन हो रहा था कि बस में कितने यात्री कहाँ कहाँ के रहने वाले थे।बिना साइन बोर्ड में पंजीकरण कराये बस का रवाना होना कोई छोटी भूल या लापरवाही नहीं है।आतंकी शुरू से ही अमरनाथ यात्रा को बाधित करने की धमकी दे रहे थे और इसी धमकी के चलते सरकार ने यात्रियों की सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किये जाने का दावा किया था।इस हमले से सरकार द्वारा की गयी सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुल गयी है।यह हमला सरकार की लापरवाही व शिथिलता का परिचायक है क्योंकि हमला होने की जानकारी हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने सरकार को पहले ही दे दी थी।अगर जम्मू काश्मीर सरकार ने आईबी से मिले इस इनपुट पर गौर कर लिया होता तो शायद ऐसी अप्रिय घटना न होने पाती।जम्मू काश्मीर में भाजपा समर्थित सरकार के होते हुये भी आतंकी हमला होना शर्म की बात है।जम्मू काश्मीर की पुलिस की स्थिति हमेशा संदिग्ध रही है और यह माना जाता है कि वह अलगाववादियों से नाता नहीं तोड़ पा रही है।अगर नाता तोड़ लिया होता तो जम्मू काश्मीर से काश्मीरी ब्राह्मणों और हिन्दुओं को अपमानित करके वहाँ से भगाया नहीं जाता।वहाँ की पुलिस अगर चाह ले तो किसी आतंकवादी को मस्जिदों व घरों में पनाह नहीं मिलती।राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की सूचना को नजरअंदाज करने का परिणाम है कि आतंकी अपने मिशन में सफल हो गये।आतंकियों ने हमला बस यात्रियों पर नहीं बल्कि हिन्दुस्तान पर किया गया है।इस हमले की जितनी निन्दा की जाय उतनी कम होगी क्योंकि यह हमला बेगुनाहों पर किया गया है।बेगुनाहों को मारने की इजाजत किसी धर्म में नहीं दी गयी है।जम्मू काश्मीर धीरे धीरे आतंकियों का गढ़ बनता जा रहा है और हमारी सरकार इन आतंकवादियों को भूले भटके युवक बताकर  एक लम्बे अरसे से नजरअंदाज कर रही है और उसी का परिणाम हैं कि अलगाववादियों एवं आतंकवादियों की संख्या वहाँ पर दिनोंदिन बढ़ती जा रही है और वह बेगुनाहों के साथ हमारे सुरक्षा बलों को अपना शिकार बनाने लगे हैं।असलियत तो यह है कि जिसे
 
हम आतंकवाद कहते हैं वह आतंकवाद नहीं है बल्कि यह इस्लामिक स्टेट द्वारा प्रायोजित युद्ध है।
भारत में जो भी घटनाएँ होती हैं वह इसी इस्लामिक स्टेट से जुड़ी होती हैं।जबतक जम्मू काश्मीर में आतंकवादियों को संरक्षण देना और सुरक्षा बलों का विरोध बंद नहीं होगा तबतक वहाँ से आतंकियों का पूरी तरह सफाया नहीं किया जा सकता है।जम्मू काश्मीर पुलिस बुरहानी की मौत के समय उस मकान मे जिसे अजनबी युवक समझ रही थी आखिरकार वहीं दोनों कट्टर आतंकी निकले।जम्मू काश्मीर से हिन्दुओं को भागकर उसे इस्लामिक स्टेट का अंग बनाने का प्रयास किया जा रहा है।अमरनाथ यात्रियों पर हुआ यह इस्लामिक स्टेट का हमला सरकार को आतंकियों की खुली चुनौती है जिसे सरकार को स्वीकार करके इसका मुँहतोड़ जबाब देना चाहिए और जम्मू काश्मीर में राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त लोगों के साथ कोई सहानुभूति नहीं बरतनी चाहिए।आठ अमरनाथ यात्रियों की मौत का बदला अस्सी इस्लामिक आतंकियों को मारकर लेने की जरूरत है।जरूरत है कि जम्मू काश्मीर में ऐलान करा दिया जाय कि जिसे भारत और तिरंगे से नफरत है और जो लोग अलगाव चाहते हैं वह जम्मू काश्मीर छोड़कर चले जाय।जिस घर पर तिरंगा न मिले और घर से भारत माता जिन्दाबाद की सदाऐ न आ रही हो उसे दुश्मन मानकर दुशमनों जैसी कार्यवाही करने की जरूरत है।जम्मू काश्मीर की समस्या और आतंकवाद रूपी कैंसर का समय रहते आपरेशन नहीं किया गया तो यह पूरे देश को अपनी चपेट में ले सकता है।
*धन्यवाद।। भूलचूक गलती माफ।।*
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Shushil Nigam

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