सचेंडी पुलिस से तो ठीक ही निकली महाराजपुर पुलिस।
बिल्कुल समान परिस्थितियों मे गाड़ी को दौड़ाकर पूरे सामान सहित पकड़ा,साथ में चार अभियुक्त भी।
सब कुछ मिला तमंचे भी, कारतूस भी,चोरी का सामान भी,चोर भी।
कानपुर-आऊटर थाना महाराजपुर की रात गश्त चेकिंग पिकेट ने फतेहपुर की ओर से आ रहे पिकअप नंबर UP. 78- GT 3451 के ड्राइवर ने चेकिंग करती पुलिस को देख दूर से ही गाड़ी मोड़ कर भागने का प्रयास किया।जैसा कि अभी पिछले हफ्ते सचेंडी पुलिस के साथ हुआ,बिल्कुल वैसा ही। लेकिन चेकिंग करती महाराजपुर पुलिस ने पिक अप को दौड़ाया और पकड़ भी लिया। रात के अंधेरे में अंधेरे का फायदा उठाकर चार अपराधी भाग निकले। जबकि चार अपराधी पुलिस की गिरफ्त में आ गए। जिनके पास से एक-एक 315 बोर का तमंचा और दो-दो जिंदा कारतूस मिले। मतलब चार तमंचे आठ कारतूस मिले।गाड़ी की पूरी चेकिंग करने पर चोरी का लोहा मिला और लोहे के बीच में दबी हुई एक तिजोरी भी मिली।जिसके विषय में पूछताछ करने पर अपराधियों ने बताया कि 20 दिन पहले रूमा के एक ज्वेलर्स की दुकान से चोरी करने की बात बताई और अभियुक्तों की निशानदेही पर चोरी के जेवरात भी बरामद कर लिए गए। लगभग 700 ग्राम वजन का सोने और चांदी का माल बरामद हुआ जिसे ज्वेलर्स ने अपने माल के रूप में पहचान लिया। पुलिस के अनुसार मुख्य अपराधी अभी फरार है उसे पकड़ने के लिए पुरजोर प्रयास किया जा रहा है।पकड़े गए चारों अभियुक्त 21 वर्षीय यश जैन चौबेपुर से, 21 वर्षीय प्रिंस कुमार कौशांबी से,32 वर्षीय रिंकू और 28 वर्षीय सुलेमान कानपुर चकेरी थाने के रहने वाले हैं।
सभी अपराधियों का अंतर्जनपदीय अपराधिक इतिहास है।सभी छठे एक नंबर के अपराधी हैं।अच्छा है कि महाराजपुर पुलिस ने दबोच लिया।भगवान जाने ये खुले कैसे घूम रहे थे?हमारे देश की न्यायिक व्यवस्था नें इन्हें खुला कैसे छोड़ रखा था ?बहुत बड़ी विडंबना है सामाजिक सुरक्षा में एक बहुत बड़ी सेंध है और हमारी व्यवस्था का एक बहुत बड़ा काला पक्ष भी है।फिलहाल महाराजपुर पुलिस अपने गुड वर्क के लिए बधाई की पात्र है।कम से कम सचेंडी में हुई घटना जैसे लूप होल इस घटना में नहीं है।
गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम
थाना प्रभारी निरीक्षक सतीश राठौर थाना महाराजपुर,उप निरीक्षक चंद्रकांत मिश्र ,मोहम्मद आरिफ, शुभम सिंह, अजय कुमार गंगवार, हे०का० सुधीर कुमार, का०-अजीत कुमार, आनंद किशोर, गुरदीप सिंह, विनय कुमार, रणजीत सिंह राजपूत आदि सम्मिलित रहे।
(एडीटर इन चीफ : सुशील निगम)