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संपादकीय –: सुरात अपराधोत्पत्ति

संपादकीय

सुरात अपराधोत्पत्ति

सर्वसामान्य हितायकुछ बातें टाइम्स7नेस समय-समय पर उपयोगिता के अनुसार समाज के अंदर प्रेषित करता रहता है, दूषित मानसिक अवस्था का सबसे अच्छा उदाहरण यही है, कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था शराब के माध्यम से पोषित और पल्लवित हो सामान्य लोगों को यही समझ रहे हैं, कि ” के लिए उत्तरदाई सरकारें होती हैं, जी नहीं यह सर्वथा असत्य बात प्रासंगिक है, कि सरकार को शराब का सहारा क्यों लेना पड़ता है, जो हम टैक्स के रूप में धनराशि देते हैं, वह कहां जाता है, लेकिन सामान्य जनों जरा सोचिए जो अर्जित करें हो क्या उसका सही होना और समुचित कर प्रशासक सरकार को पहुंचता है, क्या आप ईमानदारी से अपने देश को अपने पैसों से चलाना चाहते हैं, या सिर्फ हम सामान्य जनों के रूप में एक चार संस्थापक वाले जानवर की तरह सिर्फ अपने बारे में ही सोचते हैं। , अपने ही घर के लिए सब कुछ करते हैं, इसके लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं, जो देश के हिस्से का है, उसे चोरी कर हम जाएंगे कहां देश ने हमें क्या दिया है,इस पर विचार करें क्या कभी देश की स्वच्छ हवा और पानी देश का स्वस्थ अनाज हमें मिलता है, और इसके बदले हम देश को क्या देते हैं, अपनी कमाई का एक छोटा सा हिस्सा देश हमसे मांगता है हम इतने निकिष्ठ प्राणी हैं, उसमें भी चोरी करते हैं, और इस चोरी को छुपाने के लिए 100 झूठों का सहारा लेते हैं, इसलिए देश के प्रशासकों से जिन्हें हमने ही कहा था कि देश चलाने के लिए बिठा रखा है, मजबूर करते हैं, कि वह किसी भी तरह से देश चले गए हैं तो एक। मजबूर सरकार देश की आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए शराब जैसी जहरीली वस्तु का सहारा लेती है, और देश को चलाने का प्रयत्न करती है, लेकिन अब यह कौन सोचेगा यही शराब जिसे पीकर एक आम नागरिक राक्षस के रूप में संशोधित हो जाता है, अब तक कायम है। कर्म करने लगता है, और फिर हम गला फाड़ फाड़ कर चिल्लाने लगते हैं, कि अपराध बढ़ गया है, देश रहने लायक नहीं बचा है शरीफों का जीना मुहाल हो गया है, अब सोचिए क्या आप वास्तव में शरीफ हैं,एक चोर के साथ क्या होना चाहिए तो समझना होगा चोरों के लिए एक यही सजा है, आप चोरी करेंगे और अपराध का सामना करेंगे क्योंकि यह एक बहुत बड़ा सच है, कि जब सरकारों ने शराब पर पाबंदी लगाई है, तब तक समाज में शांति छा गई है, और जैसे ही ठेके खुलने के हर्ष की ध्वनि सुनाई दी अपराध खुलकर समाज में बंट जाती है, और इसी से भ्रष्टाचार की बेल को भी समुचित बल मिल जाता है।


इसीलिए आज Times7news ने ऐसा एक विषय चुना जो सरकारों के लिए नहीं हम पूरे समाज के सोचने का विषय है, कोई भी देश सरकारे नहीं चलाती वहां के आम नागरिक चलाते हैं, आइए ईमानदारी से अपने भारतवर्ष को पल्लवित और पोषित करें: सरकारों को समाज हित के लिए कार्य करने के लिए स्वायत्तता प्रदान करें चोरी से अपने देश को विश्व सम्राट बनाएं हर नागरिक को आत्मनिर्भर बनाएं यह हमारे हाथ में ना कि सरकारों के हाथ में।
एडीटर इन चीफ – सुशील निगम
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Shushil Nigam

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