वर्तमान परिवेश में वास्तविक कमी किसकी ?
वर्तमान परिवेश में वास्तविक कमी किसकी ?
ऑक्सीजन की, सिलेंडर की, डॉक्टर की, बेड की, हास्पिटल की या फिर नैतिकता की
सबको मालूम है, सबकुछ है, लगातार पुलिस प्रशासन द्वारा कालाबाजारी व जमाखोरी पकड़ीं जा रही हैं, चाहे ऑक्सीजन सिलेंडर हो,जरूरी दवाइयां हो,वैक्सीन हो,ये सब कमी किसकी हैं, वास्तविकता में नैतिकता की कमी है, अस्पतालों में जो लूट घसोट मची है, इन दर्दनाक परिस्थितियों में जिन्होंने लूट घसोट मचा रख्खी हैं, इन लूट धसोट मचाने वालों में आखिर क्या कमी हैं,नैतिकता की ही तो
पीपीएम का किडनी काण्ड
करने वाले डॉक्टरों के पास किस चीज की कमी थी केवल एक नैतिकता की
वर्तमान परिवेश में
हर चीज कि खरीद फरोख्त कि दलाली खाने वालों के पास किस चीज की कमी हैं,केवल और केवल नैतिकता की
आम जनता की सेवा और मदद छोड़ सिर्फ सरकार से प्रश्न पूछने वालों में आखिर किस चीज की कमी सीधी सी बात हैं, नैतिकता की ऐसे माहौल में भी मौके पर चौका मारने वाले पुलिस प्रशासन के पास आखिर किस चीज की कमी हैं, 20×20 के कमरे में बैठकर हर जगह अपने प्रोटोकॉल का डंका पीटने वाले मी लार्ड 20 रुपये में तारीख बेचते हैं,आखिर किस चीज की कमी हैं, केवल नैतिकता की ही तो
अब भागीरथ सवाल यह उठता है,
की नैतिकता की इतनी कमी हैं क्यों ?
आखिरकार आज का आदमी सही और गलत दोनों के प्रति अपनी आंखें बन्द करके सिर्फ दौड़ा ही क्यों जा रहा स्वयं को बुद्धिमान समझने वाले कुछ लोग ऐसा क्यों कहते हैं की जिसे बेईमानी का मौका नहीं मिला वही ईमानदार हैं।
आखिर नैतिकता में इतनी बड़ी कमी क्यो आ गई महाकवि तुलसीदास जी कहते है,
(बिन सत्संग विवेक न होई) मतलब हमने अपनी परम्पराओं का सम्पूर्णतया त्याग कर दिया गुजरू शिष्य परम्परा वाली शिक्षा का परित्याग कर दिया। इंग्लिश प्रणाली को अपनाया जिसमें तुम और आप दोनों के लिए यू का ही प्रयोग होता है, मतलब कोई अंतर नहीं जब बड़े और छोटे का अंतर ही समाप्त हो जाएगा तो नैतिकता का अस्तित्व कैसे बचेगा।
बहुत ध्यान देने की आवश्कता हैं, आज हम सभी को ये सोचना होगा कि हम अपनी मृत्यु से पहले भारत को भारत की सन्तति को कुछ ऐसा देकर जाएं जिससे भविष्य में आने वाली वर्तमान जैसी परिस्थितियों में किसी को किसी चीज की कमी न होने पाए।
एडीटर : डॉ0 आर्यप्रकास मिश्र