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*लूट मचाने वाले प्राइवेट स्कूल संचालक जाएंगे जेल, सरकार कसेगी नकैल*

*लूट मचाने वाले प्राइवेट स्कूल संचालक जाएंगे जेल, सरकार कसेगी नकैल*

मुंबई: अभिभावकों और छात्रों का उत्पीड़न करने वाले प्राइवेट स्कूल संचालक अब सलाखों के पीछे पहुंच सकते हैं। प्राइवेट स्कूलों पर नियंत्रण के लिए सरकार कानून लाने जा रही है।
राज्य शिक्षा अधिनियम नाम के इस नए कानून का खाका तैयार कर लिया गया है। जल्द इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में लाया जाएगा।
अपर सचिव/ महानिदेशक-शिक्षा कैप्टेन आलोक शेखर तिवारी ने इसकी पुष्टि की। इस कानून में खासकर प्राइवेट स्कूलों की एडमिशन, फीस प्रक्रिया पर फोकस रखा गया है। नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर तीन साल की जेल और 50 हजार रुपये जुर्माना तक हो सकता है।
मुख्य शिक्षा अधिकारी को स्कूलों के नियमित मुआयने और कार्रवाई की शक्तियां भी इस कानून में दी जाएंगी। छह साल में बढ़े निजी स्कूल: राज्य में निजी स्कूलों की संख्या तेजी से बढ़ी है। आरटीई के तहत गरीब वर्ग के बच्चों को 25 फीसदी सीटों पर एडमिशन के ग्राफ इसे साबित कर रहा है। वर्ष 2011-12 में केवल 2638 स्कूल ही आरटीई के दायरे में थे। आज वर्ष 2017-18 में यह संख्या 3932 हो चुकी है।
‘ऐसे कसेगी नकैल’
हर स्कूल को शैक्षिक सत्र से पहले फीस सार्वजनिक करनी होगी, घोषित फीस के अलावा दूसरा शुल्क नहीं लिया जा सकेगा, रीएडमिशन-कैपीटेशन फीस और काशन मनी पर रहेगा पूर्ण प्रतिबंध, तीन साल तक फीस में एक पैसे की भी बढ़ोतरी नहीं की जाएगी, सरकारी के समान ही निजी स्कूलों का भी नियमित निरीक्षण होगा, कानून का उल्लंघन करने पर कड़ी सजा भी मिलेगी संचालक को।
केंद्र सरकार दे चुकी है सैद्धांतिक सहमति
इस कानून पर केंद्र सरकार सैद्धांतिक सहमति दे चुकी है। कुछ समय पहले चंडीगढ़ में उत्तर भारतीय राज्यों के शिक्षा सचिवों की बैठक में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सभी राज्यों को कानून बनाने को कहा था। महानिदेशक ने बताया कि केंद्र की चिंता सरकारी स्कूलों की गिरती गुणवत्ता और प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा को कारोबार बनाए जाने पर है।
कांग्रेस सरकार नहीं जुटा पाई थी हिम्मत,
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में वर्ष 2014 में तत्कालीन शिक्षा सचिव डॉ.एमसी जोशी और उनके बाद सचिव डी.सेंथिल पांडियन ने भी प्राइवेट स्कूलों के लिए सख्त कानून का ड्राफ्ट तैयार किया था। तत्कालीन शिक्षा मंत्री मंत्रीप्रसाद नैथानी भी इस पर सहमत थे। इसे विधानसभा में भी लाया जा रहा था। पर, बाद में प्राइवेट स्कूलों के दबाव में सरकार ने इस कानून के ड्राफ्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
कानून के उल्लंघन पर होगी तीन साल सजा
अपर सचिव-शिक्षा आलोक शेखर तिवारी ने बताया कि यह कानून उन प्राइवेट स्कूलों पर अंकुश लगाएगा जिन्होंने शिक्षा को कारोबार बना लिया है। अभिभावकों और छात्रों का उत्पीड़न कर रहे हैं। इसमें कड़े प्रावधान किए गए हैं। कानून का उल्लंघन करने पर तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया है…
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Shushil Nigam

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