कांग्रेस को गुरुवार को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब राहुल गांधी के कथित करीबी और पार्टी के वॉर रूम के सदस्य आशीष कुलकर्णी ने इस्तीफा दे दिया. आशीष कुलकर्णी के इस्तीफे से परेशान कांग्रेस भले ही पूछ रही हो कि, “कौन हैं
आशीष कुलकर्णी?”. लेकिन, यह सवाल ही उसका जवाब है, उस शख्सियत की अहमियत यह सवाल ही बता देता है कि अगर कांग्रेस में वो ‘कौन है’ की हैसियत रखता था तो वह सफाई क्यों दे रही, इतना हंगामा क्यों हो रहा है.
आशीष कुलकर्णी कांग्रेस का कोई आम कार्यकर्ता नहीं था. वह कांग्रेस के वॉर रूम 15 जीआरजी में काम करता था. जहां से कांग्रेस की दिशा तय होती थी. उसने खुद अपने इस्तीफे में लिखा है कि वह वॉर रूम में 2009 से जुड़ा रहा है और तब से लेकर अब तक सभी चुनावों (विधानसभाओं और लोकसभा) में काम करता रहा है. मतलब साफ है वह वो सब जानता है जो कांग्रेस विरोधी पार्टियों के लिए अमृत हो सकता है. आशीष को आप कांग्रेस का विभीषण कहें तो कुछ गलत नहीं होगा. वह कांग्रेस के तमाम राज भी जानता होगा जो कालांतर में कांग्रेस के खिलाफ इस्तेमाल हो सकते हैं.
चिट्ठी बताती है अंदर का खेल
आशीष कुलकर्णी ने राहुल गांधी को लिखी चिट्ठी में कांग्रेस के ताजा हालातों का जिक्र किया है कि कैसे वो ‘एंटी हिन्दू’ छवि अख्तियार करती जा रही है. आशीष ने कांग्रेस के अंदर के चार बड़े बिंदुओं को रेखांकित करने की कोशिश की है. जिस तरह उसने कांग्रेस के अंदर की बातें अपनी चिट्ठी में लिखी है यही बात उसकी मंशा उजागर करने को काफी है कि वह आने समय में पार्टी के लिए कितना खतरनाक हो सकता है. राजनीतिक जमीन पर कभी सबसे बड़े संस्थान के वॉर रूम में काम करने वाला यह सिपाही अब बागी हो चुका है. इसके पास कांग्रेस की नाभि में छिपे अमृत का वह राज भी है जो कांग्रेस के लिए प्राणघातक हो सकता है.
अब टूटने लगा है कांग्रेस का केन्द्र
यहां यह भी गौर करने वाली बात है कि अब तक कांग्रेस से जो इस्तीफे हुए वह वो लोग थे जो मैदानी लोग थे, जो सीधा जनता से संपर्क करते थे. जिन्हें जैसा आदेश मिलता था, जो रणनीति तय होती थी उसके मुताबिक काम करते थे. यह पहला मामला है जब कोई कांग्रेस के वॉर रूम से बाहर निकला है. कांग्रेस को इस पर सोचने का वक्त है. राहुल को आशीष की चिट्ठी एकांत में बैठकर पढ़ने और सोचने का वक्त है. क्योंकि उसने अपनी चिट्ठी में यह भी बता दिया है कि पार्टी के कुछ नेता कैसे राहुल के खिलाफ अफवाहें फैला रहे हैं और कैसे प्रियंका को राहुल की जगह लाने की जुगत में लगे हुए हैं.