Editorial.Supreme Cort

रामजन्मभूमि बाबरी विवाद की रोजाना सुनवाई और शिया बोर्ड के हल्फनामें पर विशेष-

साथियों,
        अयोध्या फैजाबाद स्थित रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद का मामला आजादी के समय से विवादित चला आ रहा है।उच्च न्यायालय इसकी असलियत जानने के लिये इसकी तकनीकी जाँच कराकर इसमें फैसला भी दे चुका है।अदालत ने अपने फैसले में विवादित भूमि का बंटवारा विराजमान श्री रामलला निर्मोही अखाड़े और  सुन्नी वक्फ बोर्ड के मध्य कर गत वर्षों 2011 में कर दी थी।इस फैसले से कोई भी पक्ष सहमत नहीं हुआ और तीनों पक्षों ने इस फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील की है। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ कल से इस अति संवेदनशील मामले की रोजाना सुनवाई करने जा रही है।इसी बीच कल यानी बीते मंगलवार को शिया वक्फ बोर्ड की तरफ से एक हलफनामा  प्रस्तुत करके एक तर्कसंगत व्यवहारिक एवं न्यायप्रिय पहल करके सभी को भौचक्का कर दिया है। बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने हलफनामें में विवाद का स्थाई हल करने के लिये विवादित भूमि पर रामलला का भव्य मंदिर का निर्माण कराने तथा मंदिर से दूर  मस्जिद बनाने की बात कही है।
शिया वक्फ बोर्ड के हलफनामें में कहा है कि हालाँकि विवादित भूमि पर 1946 तक उसका कब्जा रहा है लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इसे सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दी थी।अध्यक्ष ने यह भी कहा है कि बाबरी मस्जिद बनवाने वाला मीरबाकी भी शिया मुसलमान था इसलिए मस्जिद पर सबसे पहले हक शिया वक्फ का बनता है और उसे ही मुकदमे का पक्षकार भी होना चाहिए।
इस समय सुप्रीम कोर्ट इस मामले को लेकर संजीदा है और जल्द से जल्द इसका निपटारा करना चाहता है।तीन सदस्यीय पीठ द्वारा कल से रोजाना सुनवाई करने का मतलब जल्द से जल्द फैसला देना है।सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की जितनी प्रशंसा की जाय उतनी कम है।इस प्रशंसनीय दौर में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया गया शिया वक्फ बोर्ड का हलफनामा भी एक नेक प्रशंसनीय पहल मानी जा सकती है।
शिया वक्फ बोर्ड का विवादित भूमि राममंदिर के लिये देकर दूर मस्जिद बनवाने का सुझाव स्वागत योग्य माना जा रहा है।इस अन्तरराष्ट्रीय विवाद राष्ट्रीय व कौमी एकता पर विपरीत प्रभाव डालने वाले इस बहुचर्चित बहुप्रतीक्षित विवाद का पटाक्षेप समय की माँग है।इसमें शिया सुन्नी दोनों को खुले दिलों दिमाग से सोचकर राष्ट्रहित सर्वोपरि करना होगा क्योंकि इस विवाद से दोनों को नुकसान हो रहा है।दोनों समुदायों के कुछ ठेकेदार इस विवाद से अपनी रोजी रोटी चला रहे हैं इसलिए वह हमेशा समझौते में बाधक बने रहते हैं।कोई कौम बुरी नही होती है बल्कि उसमें से कुछ लोग बुरे होते हैं।बुरे बुरे होते हैं चाहे जिस कौमी के हो।धन्यवाद।। भूलचूक गलती माफ।। 
        
   भोलानाथ मिश्र 
  वरिष्ठ पत्रकार/ समाजसेवी
रामसनेहीघाट,बाराबंकी यूपी।
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Shushil Nigam

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