मातृ दिवस विशेष
जय माँ भारतीय आपके श्री चरणों में कोटि कोटि प्रणाम
(एडीटर इन चीफ : सुशील निगम)
यद्यपि मातृ दिवस जैसी कोई परम्परा हमारी अपनी भारतीय संस्कृति में वर्णित नहीं है।हम प्रात काल उठके रघुनाथा, मात पिता गुरु नावहिं माथा,वाली परम्परा के वंशज हैं, अर्थात हमारे लिए प्रत्येक दिन माता पिता और गुरु की वंदना से ही शुरु होता हैं, लेकिन फिर भी किसी भी अच्छी सांस्कृतिक बात को हम सहज ही स्वीकार लेते है, ये हम सनातनियों को सभावगत विशिष्टता हैं।
आज मातृ दिवस के अवसर पर करोड़ों लोगों नें मातृ वंदन किया है,प्रत्येक दूरभाष पटल पर आज मातृ वन्दनावो से भरा पड़ा है,लेकिन एक माँ रह गई जिसकी गोद में हमने आँखे खोली भी थी और उसी मां की गोद में ये आंखे बंद भी होंगी, करोड़ों सन्तानें होने के बाद भी मां को पुकारने वाले कलयुगी बेटे कहीं दिखाई नहीं दे रहे, जबकि मां अपने कुछ बच्चों की चीत्कार पर खून के आशू बहा रही हैं, पर कोई भी देखने और सुनने को तैयार नहीं।
(वाह रे मातृ प्रेमियों तुम्हारी जय हो)