महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के बार-बार रिमाइंडर भेजने के बाद भी हरियाणा पुलिस की हिम्मत नहीं पड़ रही सीमा रेप एंड सुसाइड केस से संबंधित जांच प्रपत्र मंत्रालय को भेजें
पूरे 6 साल से आरोपी घूम रहे खुले साथ ही खोल रहे हरियाणा पुलिस की पोल
अगर अब भी हरियाणा पुलिस ने बाल विकास मंत्रालय की बात नहीं मानी तो कैसे मिलेगा सीमा को न्याय और क्या करेगा बाल विकास मंत्रालय ?
हरियाणा पलवल : उपरोक्त मामले में तत्कालीन DGP मनोज यादव प्रार्थी द्वारा पीड़िता की आत्महत्या के बाद की गई शिकायत आखिरकार क्यों बेअसर रही मतलब साफ है कहीं ना कहीं डीजीपी मनोज यादव इस पूरे केस में रक्षक का काम कर रहा था, लेकिन आरोपियों के लिए न कि पीड़ित हेतु क्योंकि पलवल पुलिस रेप होने के 10 दिन तक ना तो f.i.r. लिखी थी और ना ही पीड़िता के पक्ष में कोई कार्यवाही की बल्कि उल्टा पीड़िता को समाज में बदनामी का डर दिखाकर फर्जी राजीनामा और लिखवा लिया लेकिन आत्महत्या कर लेने के बाद जब पुलिस को लगा कि वह फस जाएगी तब पीड़िता के ही परिवार वालों को झूठे मुकदमे में फंसा कर जेल में डाल दिया और पीड़िता का सुसाइड नोट गायब कर दिया बार-बार हरियाणा पुलिस द्वारा फर्जी और झूठी रिपोर्ट बनाए जाने के पीछे डीजीपी जैसे बड़े ऑफिसर का हाथ हो सकता है,यह भी हो सकता है कि कोई बड़ा राजनीतिक व्यक्ति भी इसमें हाथ रखे हो यहां तक कि आरोपी रतन का जुर्म कबूल किया शपथ पत्र भी पुलिस द्वारा गायब किया गया उसके बाद जब जांच फरीदाबाद क्राइम ब्रांच एसपी सुलोचना गजराज को दी गई उन्होंने भी वही काम करना शुरू कर दिया मतलब साफ है, जब डीजीपी ही बिका हुआ है तो डीजीपी से नीचे वाले पुलिस अधिकारी क्यों नहीं बिके होंगे।
अब सवाल यह उठता है, कि बलात्कार तो रतन ने किया सुसाइड बेचारी सीमा ने कर ली लेकिन जो असल आरोपी है, इस मामले में जिनकी वजह से इस तरह के मामले समाज में पैदा होते हैं वो है डीजीपी मनोज यादव एवं सुलोचना गजराज जैसे घृणास्पद पुलिस अधिकारी आप जरा सोचिए जब अधिकारी ही ऐसे होंगे तो नीचे का तंत्र कैसा होगा अब अगर केंद्र सरकार सजा का प्रावधान बनाए भी तो असल में फांसी किसको होनी चाहिए मुझे नहीं लगता कि रतन सिंह इतना बड़ा आरोपी है जितने की ये डीजीपी एसपी और उनका भ्रष्ट तंत्र वास्तविकता में केंद्र सरकार को इन्ही के गले का नाप लेना चाहिए इन जैसे लोगों का बच निकलना न्याय तंत्र की विफलता होगी।
(एडीटर इन चीफ : सुशील निगम)
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