महानगर कानपुर में प्रेस क्लब में एक अपराधी द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस
शहर के तमाम पत्रकारों एवं क्षेत्र के संभ्रांत लोगों पर लगाए आरोप
पुलिस द्वारा तथाकथित शांतिदूत अपराधी पर कानपुर नगर के विभिन्न थानों में दर्ज है गंभीर धाराओं में मुकदमे,कई मुकदमों में बाकायदा चार्ज सीट लगी है और कई में एफआर
मु०स०0978/2018 में पुलिस द्वारा अदालत को बाकायदा लिखित सूचना दी गई आरोप बखूबी सिद्ध है सबूत तलब कर दंडित करने की कृपा करें
फिर भी अभी तक सबूत तलब क्यो नहीं किये गए और दंडित क्यो नही किया गया।
मु०स० 0165/2016 में भी पुलिस ने सबूत तलब कर न्यायालय से दंडित करने की मांग की यद्यपि मामला एक हुक्का बार का था जिसे पुलिस ने नहीं दिखाया जहां रेव पार्टी के दौरान नशाखोरी के साथ अश्लीलता का खेल चल रहा था।
हालांकि पुलिस ने दर्जन भर लड़कियों के साथ 35 लड़कों को गिरफ्तार किया और साथ में बड़ी मात्रा में चरस स्मैक व सूखे नशे की भी बरामदगी की और डकैती की धारा 395 में मुकदमा पंजीकृत होने के बाबजूद पुलिस ने चार्जशीट में मारपीट जैसी धाराओं में मामले को रफा दफा करने की कोशिश की – आखिर क्यों?
इमरान सिद्धकी बना इमरान टैंकर
2014 में तिलशहरी खुर्द के निकट घाटू खेड़ा पेट्रोल लाइन के बबूल के जंगल में टैंकर नंबर यूपी 78 AN-5731 द्वारा सरकारी पाइप लाइन से तेल चोरी कर सुर्खियों में आया इमरान सिद्दीकी बन गया इमरान टैंकर।
उक्त मुकदमे में मात्र मोबाइल की लोकेशन के आधार पर पुलिस द्वारा बरी किया गया जबकि सारे सबूत और गवाह उसके खिलाफ अपराधी होने की गवाही दे रहे हैं।
तत्कालीन कानपुर जिला अधिकारी रोशन जैकब द्वारा उक्त मामले में जारी की गई रिपोर्ट में अपराधी के रूप में इमरान के नाम का व उसके अपराध का उल्लेख किया गया है।
इतना सब होने के बावजूद क्या कारण है कि कानपुर महानगर की पुलिस शांति दूत इमरान टैंकर को गोद में बिठाए रहती है।
जबकि इमरान के क्षेत्रीय मौलानाओं ने एक प्रार्थना पत्र तत्कालीन कप्तान अनंत देव तिवारी को सौंपा जिसमें मौलानाओं द्वारा आपत्ति जताई गई कि जिस तरह से पुलिस द्वारा इमरान टैंकर जैसे अपराधी को सामाजिक एवं धार्मिक कार्यक्रमों में वरीयता दी जाती है इससे समाज एवं धर्म की नैतिक भावनाओं को शर्मसार होना पड़ता है मतलब साफ है की अपराधिक छवि होने के कारण इनका अपना समुदाय भी इन्हें स्वीकार करने से परहेज करता है।
रही बात प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खुद को बेगुनाह साबित करने वाले अपराधी की पुश्तैनी कारोबारी सांफगोई की तो महाशय के अब्बा अब्दुल रहमान उर्फ छोटे वल्द कुदरत उल्ला मई 2017 में एसटीएफ द्वारा सरकारी तेल की कालाबाजारी व धोखाधड़ी के आरोपों में अजगैन थाने में मुकदमा संख्या 233/2017 में बतौर अभियुक्त गिरफ्तार हुआ और जेल भी गया और अपने बेटों मोहम्मद इमरान सिद्दीकी व मोहम्मद ताहिर की जमानत पर रिहा हुआ।
विशेष सूत्रों की माने तो यशोदा नगर बजरंग चौराहे पर मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान चलाने वाला एक साधारण सा लड़का कैसे आजम खान का घरेलू सदस्य और मुख्तार अंसारी का खासम खास बन गया।
अब पुलिस के संरक्षण में इतना ताकतवर हो गया कि किसी को भी कहीं भी प्रताड़ित कर जानमाल को नुकसान पहुंचा सकता है, और किसी के साथ भी मारपीट कर पीड़ित पर ही झूठे मुकदमे लिखवा सकता है।
अब ईश्वर जाने वह कौन सा कारण है, कि कानपुर महानगर की पूरी पुलिस इमरान टैंकर की जेब में रहती है। उसी के इशारे पर कुछ भी करने को तत्पर रहती है।