भारत में बेटियों की सुरक्षा को लेकर खड़े अहम सवाल
हरियाणा पलवल की सीमा चौहान
आए दिन बेटियों के साथ होने वाली क्रूरतम घटनाओं को लेकर जनता के मन में बढ़ता जा रहा आक्रोश
क्या हर बेटी निर्भया नहीं क्या हर बेटी को न्याय नहीं मिलना चाहिए
हरियाणा पलवल की सीमा चौहान और हाथरस की मनीषा क्या बेटियां नहीं है क्यों नहीं मिल रहा इन्हें न्याय
निर्भया में ऐसा क्या था जो उसका केस सारे देश का केस बन गया भले ही 7 साल लगे हो लेकिन सभी आरोपी फांसी के फंदे पर लटका दिए गए।क्या इन 7 सालों में कोई भी रेप केस नहीं हुआ या।
क्या वह सभी लड़कियां निर्भया नहीं थी।
क्या न्याय केवल निर्भया को मिलना चाहिए था।
आखिरकार पलवल की सीमा चौहान जिसे बुरी तरह हवस की आग में बलात्कारियों ने झुलसाया न्याय पाने के लिए सीमा ने न्याय की हर चौखट पर नाक रगड़ी लेकिन आंखों पर पट्टी बंधे होने के कारण शायद कानून को कुछ नहीं दिखाई दिया अंतता सीमा को आत्महत्या करनी पड़ी आत्महत्या करने के बाद भी आज तक सीमा चौहान अपने लिए न्याय की गुहार करती नजर आ रही है। लेकिन उसकी आवाज सुनने वाला कोई दिखाई नहीं दे रहा है, सीमा चौहान केस में वर्दी दागदार हुई लेकिन उस वर्दी के खिलाफ न्याय की किसी भी कुर्सी ने धारदार कलम नहीं चलाई आज भी उसका पति अपनी पत्नी के लिए न्याय की गुहार लगाता दर-दर की ठोकरें खा रहा है, क्या भारत का कानून और उसकी आत्मा सो गई है।
क्यों नहीं सुनती निर्भया में ऐसा क्या था। जो सीमा चौहान में नहीं क्यों सीमा चौहान का केस पूरे देश का केस नहीं बन पा रहा यह ज्वलंत सवालों के घेरे में आखिरकार कौन है, कहीं वही तो नहीं जिसके दबाव में निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाया गया हो उन्हीं के दबाव में सीमा के दोषी खुलेआम घूम रहे हो यदि यही न्याय का रुख है, तो लोगों का न्याय पर से विश्वास उठ जाएगा।अभी हाल की एक घटना उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले की मनीषा के साथ कुछ दरिंदों ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी बलात्कार के अतिरिक्त उसे बुरी तरह मारा-पीटा और घसीटा गया उसकी गर्दन की हड्डी रीड की हड्डी टूटी हुई थी। उसकी आंखों से खून निकल रहा था। और उसकी जीभ भी काट ली गई थी।क्या कहे उत्तर प्रदेश पुलिस को उसके अंतिम सांस लेने के बाद उस का पार्थिव शरीर भी घरवालों के सुपुर्द नहीं किया 3:00 बजे रात को चोरी चोरी पुलिस ने संगीनों के साए में अनाथो की तरह उसे जला दिया। मानो वह हाथरस की बेटी ना होकर घास फूस व कूड़े के ढेर रही हो यह मानविता है, या अमानवीयता यह कर्म देवताओं का है, या राक्षसों का यह देश किसका है, देश में राक्षस प्रवृत्ति के लोगों की बढ़ोतरी कैसे होती चली जा रही है, आखिरकार पुलिस इन राक्षसों का साथ क्यों देने लगी इन सब सवालों के उत्तर कौन देगा वैसे तो उत्तर प्रदेश की जनता अपने मुख्यमंत्री माननीय योगी जी से इन सवालों का जवाब मांगती है, इस घटना को लेकर लोगों में आक्रोश इतना बढ़ चुका है, की अलग- अलग जबानों पर अलग-अलग तरह की मांगे आ गई जैसे कुछ लोग चारों आरोपियों पर एनकाउंटर की मांग कर रहे हैं, कुछ लोग स्वरागिनी ग्रुप से इनकी आंख फोड़ने गर्दन तोड़ने और उनकी मृत्यु की मांग कर रहे हैं, लेकिन क्या सरकार के पास ऐसा कोई कानून बनाने की क्षमता नहीं है।जिससे वह अपने बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ के नारे को सार्थक कर सके निर्भया के दोषियों को फांसी होने के बाद ऐसा लगता था। फांसी के डर से इस तरह के अपराधों में कमी आएगी लेकिन ऐसा नहीं हो सका सीमा चौहान जैसी बलात्कार पीड़िता को मौत को गले लगाना ही पड़ा यदि समय रहते विशुद्ध न्यायिक प्रक्रिया शुरू हो जाती दोषियों को उनके किए की सजा मिलनी प्रारंभ हो जाती तो शायद सीमा चौहान भी आज इस दुनिया में होती लेकिन यह समाज न्याय विभाग प्रशासन और पुलिस विभाग अपने दायित्वों से हारकर भ्रष्टाचार में इस तरह जकड़े हुए है,कि इनकी आत्मा इस बोझ के तले दबकर भ्रष्टाचारियों का ही साथ दे रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण हाथरस की ह्रदय विदारक घटना है।जिसमें बेटी के साथ हुए अत्याचार के बावजूद पुलिस जैसे महकमे ने जिसे बेटी की रक्षा तो करनी ही चाहिए थी साथ में परिवार वालों को भी सुरक्षा देनी चाहिए मगर ऐसा ना करके उत्तर प्रदेश पुलिस रात के अंधेरे में भ्रष्टाचार करते हुए दुर्दांत अपराधियों का साथ देते हुए पुलिस की छवि को शर्मसार किया उत्तर प्रदेश की जनता पुलिस के इस कारनामे से क्षुब्ध भी हैं,और आक्रोशित भी जनता अगर पुलिस के विरुद्ध सड़कों पर हाथ में डंडे ही लेकर उतर आई तो वर्दी कहां छुपेगी और वर्गीकरण क्या होगा यह तो ईश्वर ही जाने लेकिन समय रहते राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार बेटियों के साथ होने वाले क्रूरतम अत्याचार के विरुद्ध कुछ ठोस नियम और कदम उठाने पड़ेंगे।
एडीटर इन चीफ सुशील निगम