क्या बबलू को भी अपराधी बनाएगी बादशाहीनाका पुलिस
हत्या और अत्म्यहत्या के जिम्मेदार को मिल रहा खुला पुलिस संरक्षण
मरने के बाद ही क्यों मिलता इंसाफ कोरोना से ज्यादा खतरनाक है भृष्टाचार का वायर्स
अंधा कानून – जान दे कर भी पीड़िता को नहीं मिला इंसाफ
कानपुर- थाना बादशाही नाका–– सूबे की योगी सरकार ने महिला उत्पीड़न रोकने हेतु बहुत सी योजनाएं बनाईं पर स्थानीय स्तर पर प्रशासन ने इन योजनाओं में पलीता लगाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। ताजा मामला थाना बादशाहीनाका का है, यहां सब्ज़ी मंडी निवासी संतोष कश्यप नाम के युवक ने विगत कु़छ दिन पूर्व दबंगों द्वारा अपनी पत्नी के साथ छेड़खानी किये जाने से परेशान होकर ज़हरीला पदार्थ खा कर आत्महत्या कर ली थी और आज़ इंसाफ न मिलता देख मृतक संतोष की पत्नी ने भी फाँसी लगा ली.
परिजनों का आरोप है, कि स्थानीय पुलिस ने आरोपी विवेक क़ो गिरफ्तार भी किया था पर उसे 4 दिन तक थाना बादशाही नाका में बैठाये रखा और पीड़िता पर लगातार कम्प्रोमाइज का दबाव बनाया जाता रहा।जिसपर पीड़िता का कानून से भरोसा उठ गया इसका नतीज़ा ये निकला कि पीड़िता ने भी फाँसी लगा कर मौत क़ो गले लगा लिया। अब सवाल ये उठता है, कि सारे नियम क़ानून ताक पर रख 4 दिन तक आरोपी क़ो थाने में बैठाने की मंशा आखिर क्या थी। अगर आरोपी क़ो जेल भेज कर सख्त कानूनी कार्यवाही की गई होती तो शायद एक जान बच जाती।
जानकारी के अनुसार मौके से मृतका का सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है,जिसमें मृतका द्वारा छेड़खानी करने के आरोपी विवेक को आत्महत्या का दोषी बताया गया है।और देवर बबलू को कहा गया है, कि वो आरोपी विवेक को उचित सजा दिलवाये। बताते चलें कि कुछ स्थानीय दबंगों द्वारा मामले को अवैध सम्बन्धों से जोड़ कर आरोपी को बचाने के भरपूर प्रयास किये जा रहे हैं,पर मृतका का सुसाइड नोट सारी सच्चाई स्वयं बयान कर रहा है। अब देखना ये है कि जान देने के बाद भी मृतका को इन्साफ मिल पाता है, कि नहीं।
रिपोर्टर इन चीफ:- सुशील निगम