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फाइनेंस कंपनी व उसकी एसोसिएट कंपनी द्वारा मिलकर ग्राहक के साथ किए गए फ्रॉड नहीं खोल पा रही कानपुर पुलिस

फाइनेंस कंपनी व उसकी एसोसिएट कंपनी द्वारा मिलकर ग्राहक के साथ किए गए फ्रॉड नहीं खोल पा रही कानपुर पुलिस

जांच अधिकारी निष्पक्ष जांच कर पाने में अक्षम विवेचक की भूमिका संदिग्ध

पीड़ित के द्वारा सारे सबूत दिए जाने के बावजूद कानपुर पुलिस को मैग्मा फिनकॉर्प और एमएसडी एसोसिएट के द्वारा किया गया अपराध नहीं दिखाई दे रहा


U.P. कानपुर : थाना जुही मामला है यशोदा नगर में रहने वाले  आर्यप्रकाश मिश्रा का जिन्होंने 2 साल पहले एमएसडी एसोसिएट के माध्यम से मैग्मा फिनकॉर्प फाइनेंशियल प्राइवेट लिमिटेड में लोन के लिए अप्लाई किया,अपेक्षित लोन ना मिल पाने के कारण लोन लेने से मना कर दिया, और MSD एसोसिएट से अपने कागजात वापस मांगे ना ही मैग्मा ने और ना ही MSD एसोसिएट ने आज तक कागज वापस दिए उल्टा उपर्युक्त कंपनियों ने स्वतः लोन सेंशन भी कर लिया,मिल बांट कर खा भी लिया,उसकी दो कितने भी जमा करी और अब पूरा पैसा बेचारे पीड़ित से वसूल करने की बादनियति से यह जानते हुए कि पैसा ग्राहक दिया ही नहीं गया क्योंकि सेंशन लेटर ग्राहक तक पहुंचा ही नहीं, लोन भी हो गया, हजम भी हो गया, दो किस्ते भी मैग्मा तक पहुंच गई, और जांच अधिकारी को यह समझ में ही नहीं आ रहा कि दोनों की मिलीभगत है,वरना पीड़ित के अकाउंट में चेक लगाने का क्या मतलब होता है, साफ तौर पर मैग्मा द्वारा बिना पैसा दिए पीड़ित से पैसा वसूलने की जो नीति है, उसे ठगी कहते हैं, चारसौबीसी कहते हैं, और यह बात कानपुर पुलिस के पढ़े-लिखे IPS अधिकारियों से लेकर जांच अधिकारी तक को समझ में नहीं आ पा रही अब इनको कैसे समझाया जाए वो कोई तरीका है जिससे इनके समझ में आ जाए यदि हो तो कानपुर पुलिस खुल कर बताएं।

एक बहुत बड़ा सबूत इस बात का कि मैग्मा फिनकॉर्प लिमिटेड को यह अच्छी तरह मालूम है की एमएसडी एसोसिएट द्वारा एक बहुत बड़ी रकम जो कि ग्राहकों की थी ग्राहकों तक नहीं पहुंची हड़प ली गई है, जिसका मामला कानपुर के काकादेव थाने में देवेंद्र सिंह, किरण बाला एवं सत्येंद्र दुग्गल के नाम से दर्ज है, अब इसके बावजूद अपनी वो रकम यदि मैग्मा फिनकॉर्प लिमिटेड मासूम ग्राहकों से वसूल करती है तो यह किस अपराध की श्रेणी में आएगा यह ठगी नहीं तो क्या है, जबरन ग्राहकों द्वारा दी गई हस्ताक्षरित खाली चेकें ग्राहकों को वापस न करके उनके अकाउंट में लगाकर बाउंस कराकर फिर उन्हें एन आई एक्ट का अपराधी बनाना यह अपराध नहीं तो क्या है, इसका जवाब कौन देगा क्योंकि कानपुर पुलिस को तो कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा अब ना दिखने का कारण कुछ भी हो भाई फाइनेंसियल कंपनी है, अब फाइनेंस की तो कोई कमी होगी नही न

आगे भगवान जाने


(एडीटर इन चीफ : सुशील निगम)

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Shushil Nigam

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