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फाइनेंस कंपनी “मैग्मा फिनकॉर्प लि0″करती अपने ग्राहकों के साथ ठगी का कारोबार

फाइनेंस कंपनी “मैग्मा फिनकॉर्प लि0″करती अपने ग्राहकों के साथ ठगी का कारोबार


अपनी एसोसिएट MSD के साथ मिलकर ग्राहक के कागजों और चेकों का करते हैं दुरुपयोग।


भोले भाले ग्राहकों को बना डालते हैं एन आई एक्ट का अपराधी।


कानपुर : थाना जूही प्राइवेट फाइनेंस कंपनी मैग्मा फिनकॉर्प लिमिटेड अपनी सहयोगी एमएसडी एसोसिएट के साथ मिलकर आजकल अपने भोले भाले ग्राहकों को लूटने का काम कर रही है। बड़ा सुंदर तरीका अपनाया है ग्राहकों के साथ ठगी करने का। पहले तो अपेक्षित लोन पास ही नहीं करते, फिर फाइल कैंसिलेशन के नाम पर कागज और खाली चेके वापस करने के सवाल पर तीन महीने का एक कंपनी प्रोसेस बता देते हैं, लेकिन वापस नहीं करते फिर शुरू होता है कंपनी का गोरखधंधा। ग्राहक को अपना कर्जदार बताते हैं और ग्राहक से किस्ते जमा करने की नोटिस भेजते हैं। और गृह की खाली जगह एक-एक करके उसके अकाउंट में लगाते हैं उन्हें बाउंस करवाते हैं फिर कंपनी के हेड क्वार्टर द्वारा कलकत्ते से कोर्ट के माध्यम से एन आई एक्ट के थ्रू नोटिस और सम्मन भेजे जाते हैं ताकि डर के कारण ग्राहक पैसे जमा करें और जो लोन ना कंपनी ने दिया ना ही ग्राहक को मिला उस लोन की रिकवरी बड़े ही ठाठ से करने की योजना बना डालते हैं बल्कि उसे अमली जामा पहना भी देते हैं ।जब बेचारा ग्राहक पुलिस के पास दौड़ता है अपनी मदद की चीख-पुकार करता है, तो पुलिस जांच के नाम पर 4 महीने खा जाती है और f.i.r. तक नहीं लिखती। ऐसी कौन सी करनी जिसमें 4 महीने से ज्यादा का वक्त लग जाता है आखिरकार पुलिस इन कंपनियों में जाकर इनसे वास्तविक कागज क्यों नहीं मांगती।क्यों नहीं पता करती कि उसने लोन कब और कहां दिया  केवल पीड़ित के ऊपर ही सारा दबाव बनाने की कोशिश करते है। पीड़ित ही सबूत लेकर दे, पीड़ित ही ठगों की तलाश भी करे और उसके बाद जब पीड़ित अधिकारियों के पास जाकर कार्यवाही के बाबत पूंछे तो बस थाने से आख्या मांग ली जाती हैं। अब ये जो अधिकारियों और थाने के बीच में आख्या आख्या का अंतहीन आखिर कब तक इन परिस्थितियों में कहां जाए पीड़ित किस से लगाये गुहार। कैसे मिलें न्याय।

(एडीटर इन चीफ – सुशील निगम)

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Shushil Nigam

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