ना तो गवर्नमेंट किसानों की फसल लूट रही है और ना ही उनके खेत छीन रही है
संतराम जी किसान नहीं थे पवित्र गुरुद्वारे के ग्रंथी थे
फिर संतराम महाराज जी की आत्महत्या किस लिए
दिल्ली:किसान आंदोलन के समर्थन में किसी का भी आत्महत्या करना उसकी कमजोर मानसिक अवस्था का परिचायक है, पुलवामा हमले में शहीदों की लाखों के ढेर देखकर जिसको आत्महत्या करने का मन ना हुआ हो किसान ना होते हुए लाखों लोगों के मार्गदर्शक किसान आंदोलन के लिए आत्महत्या कर ले यह बात जमीर के झरोखे से कुछ जचती नहीं लाखों किसानों का मार्गदर्शन जीवित रहकर किया जा सकता था मर कर संतराम जी किसानों का हित या अहित कर गए यह तो राम जाने पर अपनी जिंदगी निरुद्देशय देश को समर्पित कर गए। वास्तविकता में इस प्रकरण की गहन जांच होनी चाहिए जो अपनी एक आवाज से लाखों लोगों को एक रास्ते पर ला सकता था उसे आत्महत्या करने की आवश्यकता क्यों पड़ी और यह आत्महत्या है,भी या नहीं।
एडीटर इन चीफ : सुशील निगम