थाना नौबस्ता की पुलिस के एक कारनामे ने इस कहावत को शब्द सा चरितार्थ किया।
थाना नौबस्ता की पुलिस के एक कारनामे ने इस कहावत को शब्द सा चरितार्थ किया।
मामला बीती रात 15 नवंबर का है,थाने से महज 150 मीटर दूरी पर मकान नंबर एम 232 के पास से एक दो पहिया वाहन लगभग रात 11:30 बजे गायब हो जाता है।जिस पर वाहन स्वामी द्वारा 100 नंबर पर पुलिस को सूचना की जाती है।और रात्रि 12:00 बजे के बाद 100 डायल पुलिस घटनास्थल पर पहुंच कर पूरी जानकारी कर लेती है। रात लगभग 1:15 बजे पीड़ित द्वारा बाइक चोरी की तहरीर थाने में दी जाती है।और सुबह लगभग 11:00 बजे पीड़ित एफ आई आर की कॉपी लेने थाने पहुंचता है।तो वहां मौजूद दरोगा जी ने उसे खुशखबरी देते हुए कहा कि आपकी बाइक अतुल हार्डवेयर के पास रोड पर लावारिस खड़ी थी जिसे पुलिस के गस्ती सिपाही थाने ले आए थे और अब आप अपनी बाइक ले जा सकते हैं।
1=अब सोचने वाली बात यह है कि तहरीर देते समय बाइक कहां थी अगर थाने में थी तो स्टाफ को मालूम क्यों नहीं था।यदि थाने में नहीं थी तो सुबह तक बाइक कहां रही किसके पास रही और क्यों रही।
2=यदि बाइक चोरी नहीं हुई तो गश्ती सिपाहियों ने बाइक का हैंडल लॉक किस चाबी से खोला क्या उत्तर प्रदेश सरकार अपने गश्ती सिपाहियों को प्रत्येक वाहन की एक-एक मास्टर की देती है।और अगर नहीं देती है तो थाना नौबस्ता की पुलिस संदेह के घेरे में आ जाती है।
गौरतलब है,थाने का पूरा स्टाफ इस सवाल पर चुप था कि बाइक किस सिपाही द्वारा थाने लाई गई थी और कैसे लाई गई और किस चाबी का इस्तेमाल किया गया।
रिपोर्टर इन चीफ~: सुशील निगम