जय श्री राम 🌹🌹 जय श्री हनुमान
बुढ़वा मंगल पवन पर्व की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं ढेरों बधाई
बुढ़वा मंगल उत्सव हनुमान जी के वृद्ध एवं बूढ़े रूप को समर्पित है। यह उत्सव भाद्रपद एवं भादौं माह के अंतिम मंगलवार को मनाया जाता है, जिसे प्रचलित भाषा में बूढ़े मंगल के नाम से भी जाना जाता है। नगला खुशहाली में 300 साल पुराने हनुमान बरी परिसर में यह त्यौहार बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है।
बुढ़वा मंगल दक्षिण भारत की अपेक्षा उत्तर भारत मे ज्यादा प्रमुखता से मनाया जाता है। परंतु, उत्तर भारत में ही कहीं-कहीं यह त्यौहार ज्येष्ठ माह के प्रथम मंगलवार को मनाया जाता है, जिनमे कानपुर एवं वाराणसी प्रमुख हैं।
बुढ़वा मंगल का इतिहास
महाभारत काल में हजारों हाथियों के बल को धारण किए भीम को अपने शक्तिशाली होने पर बड़ा अभिमान और घमंड हो गया था। भीम के घमंड को तोड़ने के लिए रूद्र अवतार संकट मोचन श्री हनुमान जी ने एक बूढ़े बंदर का भेष धारण कर उनका घमंड चूर-चूर कर दिया और तभी से इस दिन को सनातन धर्म के लोग इसे बुढ़वा मंगल के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाते चले आ रहे हैं।
एक अन्य मत के अनुसार रामायण काल में भाद्रपद महीने के आखिरी मंगलवार को माता सीता की खोज में लंका पहुंचे हनुमान जी की पूंछ में रावण ने आग लगा दी थी। हनुमान जी ने अपने विराट स्वरूप को धारण कर लंका को जलाकर रावण का घमंड चूर किया।
लेकिन 2020 कोविद 19 कोरोना महामारी के कारण इस बार हिन्दू सनातन धर्म के लोगों ने इस पर्व पर कोरोना से बचाव और कानून का पालन करते हुए अपने घरों में ही पूजन पाठ कर इस भयावह बीमारी से निजात दिलाने के लिए भगवान श्री हनुमानजी महाराज से प्रार्थना की।
एडीटर इन चीफ ; सुशील निगम