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क्या केरल में आरएएस कार्यकर्ताओं की हत्या असहिष्णुता नही हैं? संघ ने उठाया सवाल।
4 अगस्त को दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शीर्ष नेता दश्रत्रेय होसबोले ने एक प्रेस कॉन्फ्रेस की। होसबोले ने आरोप लगाया कि केरल में कम्युनिस्ट सरकार के संरक्षण में पिछले दिनों 40 से भी अधिकार आरएसएस के कार्यकर्ताओं की हत्या की गई। अफसोसनाक बात यह है कि शिकायत के बाद भी हत्यारों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। होसबोले ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों को वीडियो भी दिखाए। जिसमें कम्यूनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता खुलेआम हिंसा कर रहे है। होसबोले ने बताया कि केरल में शव को केले के पत्ते पर रखने की परंपरा है। कम्यूनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता संघ के कार्यकर्ताओं के घरों के बाहर रात के समय केले के पत्ते रख देते हैं। इससे यह संदेश दिया जाता है कि अब इस घर में रहने वाला संघ का कार्यकर्ता मरने के लिए तैयार रहे। जिन घरों के बाहर केले के पत्ते रखे गए वहां के संघ के कार्यकर्ताओं को मारा भी गया। होसबोले ने कहा कि केरल के मुख्यमंत्री तो संघ के कार्यकर्ताओं की हत्याओं में शामिल रहे हैं। संघ को केरल की सरकार से न्याय की कोई उम्मीद नहीं है। हमरने राष्ट्रपति और देश के गृहमंत्री से गुहार लगाई है कि केरल में कानून का शासन कायम किया जाए। होसबोले ने कहा कि जब देश के हिंसा की घटना होता है तो असहिष्णुता का मुद्दा जोरशोर से उठा दिया जाता है। अब जब केरल में कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता संघ के लोगों की हत्याएं कर रहे हैं तो असहिष्णुता का मुद्दा क्यों नहीं उठाया जा रहा? क्या संघ के कार्यकर्ता देश के नागरिक नहीं है? होसबोले ने कहा कि केरल में संघ के कार्यकर्ता संयम से काम ले रहे हैं, इसे हमारे कार्यकर्ताओं की कमजोरी नहीं समझा जाए। केरल में संघ की ओर से सामाजिक सरोकारों से जुड़े अनेक कार्य किए जा रहे हैं। यही वजह है कि कम्युनिस्ट विचार धारा के लोग संघ की ओर आकर्षित हो रहे हैं।