Poetry
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने जाते जाते देश पर असहिष्णुता आरोप लगाकर मुस्लिमो को असुरक्षित बताया है
उनको चेतावनी स्वरूप् कमल आग्नेय की नई रचना
फिर से जेहादी झूले में झूल गए हो हामिद क्या
संवैधानिक पद की गरिमा भूल गए हो हामिद क्या
संविधान का धर्म राष्ट है सिर्फ एक इस्लाम नहीं
राज्यसभा की सभापति तुम दिल्ली के ईमाम नहीं
पहले से ही झुके शीश को शर्म सिखाने निकले हो
देशद्रोह या देशप्रेम का एक रास्ता चुन लेना
आग्नेय की घोर गर्जना कान खोलकर सुन लेना
खूब मोम हमने पिघलाया चर्चो के उजियारो पर
हमने चादर खूब चढ़ाई सैय्यद के दरबारों पर
हिन्दू वो है जिसने बाँधा सकल विश्व को बाहों में
मुस्लिम से ज्यादा हिन्दू हैं हाजी की दरगाहो में
जो घर की पहली रोटी गौ माँ को भोग लगाता हो
जो भोजन करने से पहले पंचयज्ञ करवाता हो
जिसने बंदर को भी अपने चने खिलाकर पाला हो
जिसने छोटी सी चींटी तक को भी आटा डाला हो
जिसने पानी नहीं पिया चिड़िया के खाने से पहले
डूब मरो उस हिन्दू पर आरोप लगाने से पहले
भारत तेरे दंशों को अब और नहीं सह सकता है
आक्रोशित हो आग्नेय बस इतना ही कह सकता है
नालों ने गाली दी है माँ गंगा सी पावित्री को
और वैश्या पढ़ा रही है पाठ सती सावित्री को
भारत को मुगलिस्तान बनाने की तैयारी बंद करो
उपराष्ट्रपति हो एक कौम की ठेकेदारी बंद करो
हामिद तेरा सूरज जाने वाला है अस्ताचल में
मुसलमान खुश रहता है तो भारतमाँ के आँचल में
जुटे हुए हो इस्लामी शासन की धाक बनाने में
कूद पड़े हो भारत को जलता ईराक बनाने में
यूँ तो तुमसे देशप्रेम का धरम नहीं हो सकता है
जैसे कुत्तों को देशी घी हजम नहीं हो सकता है
अलगाववाद के बर्तन की अब दाल नहीं गलने देंगे
अब पृथ्वी गौरी को सत्रह चाल नहीं चलने देंगें
तुमको शीश झुकाना होगा भारत की परिपाटी पर
इस्लाम सुरक्षित है तो केवल श्री राम की माटी पर
कवि कमल आग्नेय
मो-8853625209