‘इतनी भी बुरी हालत नहीं है भारतीय सेना की’
भारत और चीन के बीच सिक्किम के पास डोकलाम क्षेत्र में तनाव जारी है.
हिंदी अख़बार दैनिक भास्कर की एक ख़बर के अनुसार, संसद में पेश हुई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर युद्ध छिड़ जाए तो भारतीय सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने गोला-बारूद में से 40 फ़ीसदी तो 10 दिन में ही ख़त्म हो जाएगा.
कैग की रिपोर्ट में भारतीय सेना को मिलने वाले असलहे की उपलब्धता और सप्लाई को लेकर कई पहलू सामने आए हैं
भारतीय मीडिया में आ रही रिपोर्टों के मुताबिक भारतीय सेना इन दिनों गोला बारूद की भारी कमी से जूझ रही है.
इन्हीं सवालों पर रक्षा विशेषज्ञ मारूफ़ रज़ा का नज़रिया:
ऑर्डिनेंस फ़ैक्ट्री बोर्ड को लेकर इस तरह की रिपोर्ट पहले भी आई थी और जब भारत और चीन के बीच तनाव बना हुआ है ऐसे में इस तरह की रिपोर्ट दोबारा आई है.
लेकिन इस रिपोर्ट का आधार भारतीय सेना को असलहे की ज़रूरत है. इसे लेकर क़रीब 40 साल पहले वॉर वेस्टेज रिज़र्व के हिसाब से एक टेबल बनाया गया था.
उस ज़माने में जब लड़ाइयां होती थीं तो महीने भर या डेढ़ महीने तक जंग जारी रहने का अंदाजा रहता था.
और माना जाता था कि नतीजा न निकलने पर दुनिया के देश लड़ रहे पक्षों पर युद्ध विराम घोषित करने का दबाव बनाएंगे.
लेकिन मौजूदा हालात एकदम अलग हैं. आज अगर युद्ध होता है तो सात से दस दिन में ही दुनिया भर के देश युद्धविराम करने को कहने लगेंगे.
चूंकि पाकिस्तान और चीन के साथ भारत की लड़ाई की संभावना बन सकती है, दुनिया के ताकतवर देश इसे लेकर काफ़ी चिंतित होंगे और इस तरह की जंग को बंद करने की कोशिश करेंगे.
भारत, पाकिस्तान और चीन के पास परमाणु हथियार हैं, इसलिए लड़ाई शुरू होने की स्थिति में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से चिंतित दुनिया ज़्यादा दिन तक संघर्ष चलने नहीं देगी.
कैग की वेबसाइट पर मौजूद आर्मी एंड ऑर्डिनेंस फ़ैक्ट्रीज़ रिपोर्टस में कहा गया है कि पहले हुए ऑडिट के बाद मार्च 2013 से लेकर अब तक ऑर्डनेंस फ़ैक्ट्री बोर्ड की तरफ़ से असलहे की सप्लाई की गुणवत्ता और असलहे की भारी कमी की स्थिति में कोई ख़ास सुधार नहीं आया है.