Editorial.Special
आरम्भ हो प्रचण्ड, बोले मस्तकों के झुंड है, जंग की घड़ी, कि तुम गुहार दो।।
विदेशी आतंकवादियो के खिलाफ देशव्यापी मुहिम का आगाज:-
दोस्तो अगर आप नहीं चाहते हैं कि किसी आतंकवादी हमले में आपके किसी अपने की जान जाये तो इस पोस्ट को पूरा, और पूरे ध्यान से पढें और अपने स्तर से इस मुहिम को सफल बनाने का प्रयास करें ऐसा कर के आप अपने अपनों की सुरक्षा में योगदान देंगे
देश जल रहा हो मैं चुप रहूँ,
मैं ऐसा गद्दार नहीं
मुझे कोई जाने न जाने,
ये मेरा व्यापार नहीं
-क्विक सिल्वर
भारतीय युवाओं से अपील
मेरे भारत के युवा साथियों आज काफी समय से हो रही आतंकी घटनाओं एवं सैनिकों की अकारण मृत्यु से मन विचलित हो रहा था।
परंतु अभी सावन के प्रथम पवित्र सोमवार को श्री अमरनाथ जी की यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं पर हुए कायराना आतंकी हमले के कारण मन अत्यंत दुखी हो गया, फलस्वरूप अंतर्मन में इन सभी घटनाओं से उत्पन्न ज्वाला अब एक ज्वालामुखी के रूप में फटने को बेचैन हो रही है और मुझे ऐसा आभासित हो रहा है कि यह केवल मेरे मन की ही आग नहीं है अपितु आप सभी के मन में भी ऐसा ही कुछ अवश्य हो रहा होगा किंतु प्रकट करने का साधन, माध्यम एवं मंच ना होने के कारण मन व्यथित भी होता होगा।
मित्रों हमारी विचारधारा का एक मूल मंत्र है संघे शक्ति कलयुगे।
अतः हम आप सब को इसी मंत्र के आधार पर जाति, धर्म, संप्रदाय तथा राजनैतिक विचारधारा में बँटने की जगह मात्र भारत के पुत्रों के रूप में स्वयं को संगठित करना होगा।
क्योंकि 1857 के महासमर के पश्चात विदेशी ताकतें हमारी इस शक्ति से भयभीत हो गई थी और भय के फलस्वरुप ही उन्होंने हमको धर्म के नाम पर बाँटा हम एक भारतवासियों को हिंदू और मुसलमान में उन्होंने विभाजित कर दिया तत्पश्चात उनके दत्तक पुत्रों ने हमें न जाने कितने हिस्सों में बांटा यह एक बहुत अफसोस और मनन का विषय है।
किंतु अब समय आ गया है कि राष्ट्र हित में हम अपने सभी मतभेदों को, जोकि इन राजनीति के ठेकेदारों द्वारा हमारे ऊपर थोपा गया नापाक आवरण है,उस को एक झटके से उतार कर अपने को वास्तविक भारत पुत्र के रूप में उभारें और संगठित होने का प्रयास करें।
संगठित होने के प्रारंभिक तरीके
प्रथम चरण में आप जहां निवास करते हैं जो भी आपका कार्य क्षेत्र है आप जिस गांव जिस कस्बे या जिस भी शहर में निवास करते हैं पूरे भारत के किसी भी क्षेत्र में जहां आप कार्यरत हैं वहीं पर अपने मित्रों, परिचितों तथा पारिवारिक मित्रों को हर माह के प्रथम एवं अंतिम रविवार के दिन दोपहर 12 बजे किसी भी सार्वजनिक स्थान पर एकत्रित कीजिये और इस विषय पर चर्चा कीजिये और चर्चा से प्राप्त हुए विचार व शंशय को सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित कीजिये सभी सम्मिलित लोगों के चित्रों को भी फ़ेसबुक व अन्य माध्यमों द्वारा शेयर कीजिये।
इस प्रक्रिया को अपनी जीवनशैली का हिस्सा तब तक के लिए बनायें जबतक इस देश की सीमाओँ के अंदर विदेशियों द्वारा भेजा गया एक भी आतंकी जीवित है।
यकीन मानिए, जिस दिन भारत के हर गाँव और कस्बे में ये आयोजन होने लगेगा उस दिन से भारत देश की सीमा में किसी भी आतंकी को मुँह छुपाने की भी जगह नहीँ मिलेगी।
दोस्तों आप लोंगो के मन में ये सवाल जरूर उत्पन्न हो रहा होगा कि आप लोगों को संगठित होने को कहने के पीछे आखिर मेरा उद्देश्य क्या है मैं यह क्यो करने को कह रहा हूँ, मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मैं नहीँ चाहता हूँ कि मेरी या मेरे किसी भी अपने या मेरे देश के किसी भी देशवासी की मौत का दिन व समय ये मुट्ठी भर विदेसी आतंकी तय करें
इस विषय पर यदि अभी नही सोचा गया तो शायद बहुत देर हो जाएगी क्योंकि ये राजनेता और तथाकथित बुद्धिजीवी केवल कोरी सांत्वना व शोक प्रकट करने के अलावा कुछ ठोस करने का माद्दा नहीं रखते।
अब बस बहुत हो लिया भाई हमारे और आपके सब्र का बांध टूटने के कगार पर है इसीलिए ऐसा होने से पूर्व लक्ष्य निर्धारित कर के इस ओर संगठित होकर इस प्रायोजित आतंकवाद को समूल नष्ट करने की दिशा में चलने की योजना का शुभारंभ करें।
शेष फिर
Yours
Quick Silver