अगर आपको कर्ज की जरूरत है तो प्लीज मैग्मा फिनकॉर्प लि. और उसकी एसोसिएट कंपनियों की तरफ भूल कर ना जाएं
आपके साथ हो सकता है धोखा भूलकर भी न दे खाली चेकें
आपके कागजों का कंपनी द्वारा किया जा सकता है गलत प्रयोग
आपके एकाउंट में आपकी चेकें बाउंस कराकर आपको एन आई एक्ट का अपराधी बना सकती है मैग्मा
उ.प्र. कानपुर : मामला कानपुर यशोदा नगर में रहने वाले आर्यप्रकाश मिश्र जो Times7news में एडीटर के पद पर कार्यरत हैं, के साथ घटित हुआ दरअसल पीड़ित को एक गाड़ी खरीदने के लिए लोन चाहिए था पीड़ित ने एमएसडी एसोसिएट के माध्यम से मैग्मा फिनकॉर्प लिमिटेड में लोन के लिए अप्लाई किया जिसपर मैग्मा फिनकॉर्प लि. की MSD एसोसिएट द्वारा फाइल के साथ चार हस्ताक्षरित चेकें भी ली गई पर्याप्त लोन न मिल पाने के कारण लोन की फाइल कैंसिल कर दी गई और कंपनी द्वारा बताया गया कि आप के कागजात और खाली चेक 3 महीने में वापस कर दी जाएंगी अभी तक कंपनी द्वारा कुछ भी वापस नहीं किया गया बल्कि उन खाली चेकों को पीड़ित के अकाउंट में लगाकर बाउंस करा दिया और पीड़ित को एन आई एक्ट का अपराधी करार दे दिया साथ ही एक धमकी भी दी गाड़ी आप रोड पर नहीं चला सकते हो नहीं तो उसे भी खींच ले जाएंगे पीड़ित जब उपरोक्त पूरे प्रकरण की शिकायत करने थाना नौबस्ता पहुंचा तो उसे वहां से यह कह कर दो बार टरका दिया गया कि यह मामला जूही या काकादेव थाने से संबंधित है जबकि वर्तमान समय में कहीं भी एफ आई आर दर्ज कराने का प्रावधान है अब यहां से शुरू होता है पुलिसिया खेल सीएम जनसुनवाई के पोर्टल पर जब पीड़ित द्वारा 14/04/2021 को शिकायत दर्ज की गई जिसका कम्प्लेन न. 40016421016676 हैं जिसमें नौबस्ता पुलिस ने पीड़ित से बिना संपर्क किए ही अपनी आख्या लगा कर भेज दी इसके ठीक एक माह पहले भी पीड़ित द्वारा जूही थाने में मामले से संबंधित प्रार्थना पत्र थाने में मौजूद डी एन द्विवेदी को दिया जिसकी जांच SI राज कुमार मौर्या को सौंपी गई जिन्होंने 2 महीने तक पीड़ित को चक्कर लगवाए और कार्यवाही के नाम पर पीड़ित से ही सबूत मांगते रहे और आरोपियों से फोन पर बातचीत कर उन्हें थाने बुलाते रहे अब भला चोर थाने क्यों आता खैर पीड़ित ने SHO जुही से संपर्क किया तब पीड़ित को पता चला कि उसे हायर अथॉरिटी के पास जाना पड़ेगा वहां से आदेश होगा तब थाना जांच करेगा आगे की कार्रवाई होगी फिर पीड़ित अपनी आपबीती लेकर डीएसपी दक्षिण रवीना त्यागी से मिला जिन्होंने जांच के लिए थाना जूही को आदेशित किया 15 दिनों का समय दिया लेकिन एक महीने बाद जब पीड़ित उनसे मिलने पहुंचा तो दोबारा उसी प्रार्थना पत्र पर असिस्टेंट डीएसपी बसंत लाल ने फिर से जूही थाने से आख्या मांगी पीड़ित जब थाने पहुंचा तो उसे पता चला कि जांच एसीपी बाबू पुरवा के पास पहुंच चुकी है एसीपी ऑफिस पहुंचने पर पता लगता है की जांच अधूरी थी उसे फिर से जुही थाने भेज दिया गया मतलब कार्यवाही के नाम पर आख्या अधूरी जांच और पीड़ित को न्याय के नाम पर चक्कर वह भी पीड़ित द्वारा सबूत पेश करने के बाद आखिर जब पीड़ित ही सबूत पेश कर रहा है, तो जांच में इतना समय क्यों लगाया जा रहा है, इसके पीछे क्या कोई खास कारण है जैसा कि आम जनता जानती है।
3 जून को जब कमिश्नर साहब को ट्विटर के माध्यम से जब पूरे प्रकरण से अवगत कराया गया तब महोदय द्वारा प्रकरण संज्ञान में होने की बात कही गई आवश्यक विधिक कार्यवाही कराने का आश्वासन दिया गया।
अब आम जनता को मैग्मा जैसी फायनेंसियल प्राइवेट लि. कम्पनियों से सचेत रहने की आवश्कता है
(एडीटर इन चीफ : सुशील निगम)